#2030 के भारत के सतत विकास के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक है उत्कृष्ट कार्य तथा आर्थिक वृद्धि। उत्कृष्ट कार्य का सीधे तौर पर आशय अच्छे गुण से युक्त कार्य से है। इस लक्ष्य का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारी सीरीज के पॉइंट 4 से नाता है, क्योंकि उत्कृष्ट कार्य करने के लिए कहीं न कहीं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता होती ही है। यदि हम इस विषय के इतिहास की बात करें, तो दुनियाभर में वार्षिक आर्थिक वृद्धि सन् 2000 में 3% थी, जो घटकर 2014 में 1.3% रह गई। वैश्विक बेरोजगारी 2007 में 17 करोड़ से बढ़ते-बढ़ते 2012 में करीब 20.2 करोड़ हो गई, जिसमें से करीब 7.5 करोड़ युवतियां और युवक थे। इस धीमी और असामान्य प्रगति को देखते हुए प्रशासन ने यह निश्चय किया कि गरीबी मिटाने की हमारी आर्थिक और सामाजिक नीतियों पर नए सिरे से सोचकर नए साधनों का सहारा लेना होगा। सतत् विकास एजेंडा का मूल मंत्र है ‘कोई पीछे छूटने न पाए’। साथ ही ‘सभी को मिले काम, ऐसा हो अर्थव्यवस्था में सुधार’ मोटो को अपनाकर इस लक्ष्य के लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है। 10 और 24 वर्ष की आयु के बीच 36 करोड़ से अधिक युवाओं के साथ भारत में दुनिया की सबसे युवा आबादी निवास करती है। इस डेमोग्राफिक प्रॉफिट के उपयोग पर ही देश के लिए संपन्न और जानदार भविष्य की रचना का सारा दारोमदार है। किन्तु उच्चतर शिक्षा में भारत का सिर्फ 23% का सकल भर्ती अनुपात दुनिया में सबसे कम अनुपातों में से एक है। भारत में श्रम शक्ति हर वर्ष 80,00,000 से अधिक बढ़ जाने का अनुमान है और देश को अब से लेकर 2050 तक 28,00,00000 रोजगार जुटाने की जरूरत होगी, जिसके परिणाम स्वरुप उपरोक्त मौजूदा स्तरों में एक-तिहाई वृद्धि होगी। उत्कृष्ट कार्य तथा आर्थिक वृद्धि लक्ष्य का उद्देश्य 2030 तक हर जगह सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए पूर्ण एवं उत्पादक रोजगार हासिल करना, युवाओं के लिये रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना, क्षेत्रों, आयु समूहों और लिंग के आधार पर असमानता को कम करना, अनौपचारिक रोजगारों में कमी करना, सभी श्रमिकों के लिये सकुशल और सुरक्षित कार्य वातावरण को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत यह भी सुनिश्चित किया गया है कि #2030 के भारत में अक्षम या अपंग व्यक्तियों सहित सभी लोगों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए और साथ ही बाल श्रम को भी खत्म किया जाए। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, राष्ट्रीय सेवा योजना और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जैसे सरकार के कुछ प्रमुख कार्यक्रमों का उद्देश्य सभी के लिए उत्कृष्ट कार्य जुटाना है।
हमारी भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक रोग दिन पर दिन बढ़ते जा रहें हैं और ये हमारे मस्तिष्क पर गलत प्रभाव डाल रहे हैं। आज हम जानते हैं डिमेंशिया बिमारी के बारे में, डिमेंशिया वैसे तो कोई बिमारी का नाम नहीं है बल्कि लक्षणों के समूह का नाम है जो की मस्तिष्क की हानि से सम्बन्धित है।इस बिमारी में आदमी को रोजमर्रा के काम करने में भी दिक्कत होती है और उम्र के साथ ये बिमारी बढ़ती जाती है। अल्जाइमर की बिमारी डिमेंशिया में सबसे आम बिमारी है। इसमें हमारी सोचने समझने की ताकत बहुत कम हो जाती है और ऐसा दिमाग पर ज्यादा जोर डालने, अवसाद या अन्य किसी मानसिक बिमारी से हो जाता है। डिमेंशिया के कुछ आम लक्षण हैं :शार्ट टर्म मेमोरी लॉसचीजें रख के भूल जानाखाना खाना याद नहीं रहनाघूमने जाना भूल जाना डिमेंशिया की बहुत सी किस्में प्रोग्रेसिव होती है मतलब बढ़ती रहती हैं अगर आपको ये समस्याएं हैं तो हो सकता उम्र के साथ ये और बढ़ती चली जाएँ, इसलिए अच्छा यही है की आप तुरंत डॉक्टरी सलाह लें। डिमेंशिया दिमाग में सेल्स को क्षति पहुंचने के कारण होता है, इसमें सेल्स सही से काम नहीं कर पाते और सूचना का आदान प्रदान ढंग से नहीं हो पाता, इस से हमारी सोचने समझने और अन्य काम करने की शक्ति पर फ़र्क़ पड़ता है। वैसे तो डिमेंशिया में सेल्स स्थाई रूप से ख़राब हो जाते है, पर हम इन लक्षणों को सही कर डिमेंशिया को कम कर सकते हैं डिप्रेशनअत्याधिक शराब पीनाथाइरोइड की समस्याविटामिन की कमी कैसें जांचें डिमेंशिया कोडिमेंशिया को जांच करने का कोई तरीका नहीं है, ये केवल लक्षणों से ही पता लगाया जा सकता है। डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री देख के ही इसका अनुमान लगा सकते हैं । इसके लिए वो कुछ लैब टेस्ट , दिन प्रतिदिन के काम को देख सकते हैं फिर भी डॉक्टर अनुमान ही लगा सकते हैं। एकदम सटीक डिमेंशिया के प्रकार का पता लगाना मुश्किल है, डॉक्टर ज्यादा केस में अल्जाइमर ही बताते है और यदि केस कुछ ज्यादा ही गंभीर है तो डिमेंशिया ही लिख देते हैं। अगर आपको ज्यादा गंभीर डिमेंशिया है तो आपको बड़े दिमागी डॉक्टर से मिलने की जरुरत पड़ सकती है।कैसे करें उपचारडिमेंशिया का उपचार उसके प्रकार पर निर्भर करता है अगर अल्ज़ाइमर और प्रोग्रेसिव डिमेंशिया है तो इसका इलाज न के बराबर ही होता है, ये उम्र के साथ बढ़ता ही रहता है । दूसरे तरह के डिमेंशिया में दवाई से ही असर हो जाता है और रोगी बिलकुल स्वस्थ हो जाता है। इस से बचने के सबसे अच्छा तरीका है, अच्छी जीवनशैली अपनाएं और स्वस्थ आहार लेकर इस के खतरे को कम किया जा सकता है। साबुत अनाज, फल, सब्जियों का भरपूर सेवन करें। आहार में कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, कैल्शियम, फाइबर और मैग्नीशियम का अधिक सेवन करें। नियमित रूप से व्यायाम करें और ज्यादा स्ट्रेस न लें। SOURCE: https://www.flypped.com/main-symptom-of-dementia-disease/hindi/
डायबिटीज को हिंदी मधुमेह कहते है|यह क्या है?शरीर को ठीक से काम करने के लिए, रक्त में ग्लूकोज का एक स्वस्थ स्तर बनाए रखने की आवश्यकता होती है। मधुमेह में इस स्तर का संतुलन बिघड जाता है और यह शरीर में रक्त शर्करा को ग्लूकोज के रूप में संसाधित करने के तरीके को प्रभावित करने लगता है।ग्लूकोज आपके शरीर की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। यह आपके कार्बोहाइड्रेट खाद्य पदार्थों से आता है, जैसे कि रोटी, पास्ता, चावल, अनाज, फल, स्टार्च वाली सब्जियां, दूध और दही।इनका सेवन करने से आपकी रक्त धारा आपके शरीर के चारों ओर ग्लूकोज को पहुंचाती है, और आपकी कोशिकाएं इसे ऊर्जा में बदल देती हैं। शरीर को इंसुलिन (insulin) की आवश्यकता होती है जिसका उत्पादन अग्न्याशय (Pancreas) में होता है। यह इन्सुलिन ग्लूकोज (glucose) को तोडकर आपकी कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए मददगार होता है|मधुमेह या डायबिटीज के मुख्यतः 2 प्रकार होते है (Types of Diabetes) –Type 1 डायबिटीजType 2 डायबिटीजटाईप 1 डायबिटीज-(Type 1 Diabetes)टाईप 1 में अग्न्याशय (Pancreas) (आपके पेट के पीछे का अंग) बहुत कम इंसुलिन या बिल्कुल भी इंसुलिन पैदा नहीं करता है। इंसुलिन एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला हार्मोन है, जो अग्न्याशय की बीटा कोशिकाओं द्वारा निर्मित होता है, जो शरीर को ऊर्जा के लिए चीनी का उपयोग करने में मदद करता है।टाईप 2 डायबिटीज–(Type 2 Diabetes)टाईप 2 में अग्न्याशय (Pancreas) इंसुलिन बनाता है, लेकिन बनाया गया इंसुलिन (insulin) उस तरह से काम नहीं करता जैसा उसे करना चाहिए। इस स्थिति को इंसुलिन प्रतिरोध या इंसुलिन रेजिस्टन्स (insulin resistance) कहा जाता है।मधुमेह वाले लगभग 5% लोगों में ही टाइप 1 होता है। यह पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करता है। जबकी टाईप २ मधुमेह की संख्या दिन ब दिन बढती ही जा रही है। टाईप १ को ठीक करना बहुत कठीन होता है। जबकी टाईप 2 को रिवर्स कर सकते है। मधुमेह या टाईप 2 होने का मूल कारण इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) है .ऐसी 7 बाते हैं जो इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनते हैं| उन्हे इस प्रकार विभाजित किया जाता है|• आहार संबंधी चार कारण• व्यायाम संबंधी दो कारण• तनाव संबंधी एक कारणटाईप 2 मधुमेह में ये लक्षण देखे जाते है-• अधिक बार मूत्र आना, आमतौर पर रात में देखा जाता है• शुष्क मुँह• सामान्य से अधिक प्यास लगना• थकान, सुस्ती या जलन महसूस होना• खाए जाने के बावजूद लगातार भूख लगना• कट, घाव या अल्सर का धीरे-धीरे ठीक होना• खुजली, त्वचा में संक्रमण• मूत्राशय में संक्रमण• धुंधली दृष्टि• वजन में बदलाव – वजन में धीरे-धीरे वृद्धि• मिजाज में बदलाव• सिरदर्द• चक्कर आना• निचले पैरों और / या पैरों में दर्द या झुनझुनी होनामधुमेह के संभावित समाधान क्या हैं?आम तौर पर मधुमेह के होने का पता चलते ही उसे नियंत्रित करने पर ही ध्यान दिया जाता है। अँटी डायबेटीकी मेडिक्शन पर रखकर। जीन स्थितियो में शुगर नियंत्रण खो देती है वहा इन्सुलिन दिया जाता है या इन्सुलिन की आवश्यकता होती है। लगभग 10 साल पहले मधुमेह (diabetes) के रिवर्स होने के बारे में कोई नहीं जानता था। लेकिन अब अध्ययन के माध्यम से हमें रिवर्सल के 7 सत्य पता चल गए हैं और ये अनुभवजन्य सत्य हैं।फ्रिडम फ्रॉम डायबिटीज एक ऐसी संस्था है जो डायबिटीज रिवर्स करने में एक्स्पर्ट है। इस संस्था के संस्थापक डॉ प्रमोद त्रिपाठी जी है। डाएट, एक्सरसाईज, आंतरिक परिवर्तन और मेडिकल इन चार आधार स्तंभोपर काम करके इन्होने ९९,००० लोगो के जीवन में परिवर्तन लाया है।इन का डायबिटीज रिव्हर्सल प्रोग्रॅम एक बहुत बेहतरीं प्रोग्रॅम है जहाँ डॉक्टर, मेंटॉर, एक्सरसाईज एक्स्पर्ट, डीएटिशियन की मदद से चरण-दर-चरण डायबिटीज की दवा अथवा इन्सुलिन से फ्रिडम पाया जा सक्ती है।हमारे website को भेट देकर आप अनेक लोगो के बारे में जान सकते है जिन्होने अपना डायबिटीज रिवर्स किया है|
जब से इस असीम ब्रह्मांड की रचना हुयी है, तभी से इंसान और कुदरत के बीच अटूट संबंध रहा है। पेड़ों से हमें जीवनदायिनी ऑक्सीज़न की प्राप्ति होती है, जिसके बिना मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पेड़ हमेशा से ही हमारे जीवन का आधार रहे हैं। आदिकाल से ही समस्त भारतीय समाज में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिली है। भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही पेड़-पौधों को पूजने की परंपरा रही है। हिन्दुस्तान में ऐसा माना जाता है कि विभिन्न वृक्षों में देवताओं का वास होता है। अशोक इंद्र का, कदंब भगवान श्रीकृष्ण का, तुलसी का पौधा विष्णु और लक्ष्मी का, नीम मंसा और शीतला का माना जाता है। पेड़-पौधें प्रकृति के अनमोल देन कहे जाते हैं। ऐसा कोई मजहब नहीं है जो पर्यावरण संरक्षण को महत्व ना देता हो।हैरत और अफ़सोस की बात तो ये है कि भारत जैसे देश में एक तरफ़ जहां पर्यावरण को सर्वोपरि माना गया है और दूसरी तरफ़ बढ़ती आबादी अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए वृक्षों को काट रहे हैं। जिस रफ्तार से पेड़ और पौधे काटे जा रहे है, वो दिन दूर नहीं है जब पेड़ों का अस्तित्व यानी मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा। आंकड़े बताते हैं कि मानव सभ्यता की शुरुआत से अबतक 3 लाख करोड़ से भी ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 का अध्ययन करके ये पता चला है कि भारत में वन क्षेत्र कुल 7,12,249 वर्ग किलोमीटर है। भारत के लोगों में वृक्षारोपण को लेकर जागरूकता बढ़ी है और यही वजह है कि जनमानस अब पेड़ पौधों की अहमियत से वाकिफ़ हो रहे हैं। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्य पौधारोपण करके लोगों में जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं जिससे लोग बढ़चढ़कर इस पुनीत कार्य में हिस्सा ले सकें।पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से हिन्दराइज फाउंडेशन के योद्धा दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग इलाकों में वृक्षारोपण कर रहे हैं और संस्था के साथ जुड़ने के लिए लोग भी आगे आ रहे हैं।हिन्दराइज फाउंडेशन के पितामह नरेंद्र कुमार के अनुसार प्रकृति का संरक्षण ही सभी के लिए प्राणमयी ऊर्जा है। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्यों ने ना सिर्फ पौधे लगाने पर जोर दिया है बल्कि लोगों को पौधों की समुचित देखभाल करने के लिए प्रेरित भी किया है।आओ मिलकर पौधे लगाते हैं,धरा को हरा-भरा बनाते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार स्वाति नक्षत्र/Swati Nakshatra 27 नक्षत्रों में से एक है। स्वाति शब्द सु + अति से बना है, जिसका अर्थ बहुत अच्छा या स्वतंत्र होता है। स्वाति का एक और अर्थ है — धर्मगुरु, जिसे धर्मशास्त्र में महारत हासिल है। स्वाति नक्षत्र से जुड़े कुछ रहस्ययह नक्षत्र धर्म, अंतर्ज्ञान और भगवान का कारक है। जो व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेता है, वह इस नक्षत्र के विषय में जानने का हमेशा इच्छुक रहेगा। इस नक्षत्र की ऊर्जा बहुत दूर तक बिखरती है। कहीं पर यह नक्षत्र कायापलट या फिर कहीं पर बदलाव का बिंदु बन जाता है।खुद को पूरी तरह से स्वतंत्र कर लेने की चाह इस नक्षत्र की पहचान है। हालांकि जीवन की कोई भी प्रक्रिया हो, उसमें यह बहुत अस्त—व्यस्त दिखाई देते हैं। इस नक्षत्र से जुड़े जातक मार्केटिंग आदि के क्षेत्र में अत्यंत सफल साबित हो सकते हैं। ऐसा क्यों होता है चलिए समझते हैं। स्वाति नक्षत्र से जुड़ी मुख्य बातें इस प्रकार देखें तो इस नक्षत्र/Nakshatra से जुड़े व्यक्ति अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं। हालांकि उतार-चढ़ाव का संबंध घर के उस स्वामी पर निर्भर करता है, जिससे यह नक्षत्र प्रभावित रहता है। यह आपसी संबंध, धन आदि से भी जुड़ा होता है। स्वाति नक्षत्र राशि चक्र में पूरी तरह से तुला राशि को प्रभावित करता है, जो कि एक महत्वपूर्ण राशि है। राहु स्वाति नक्षत्र पर शासन करता है, जो कि एक शुष्क ग्रह है और शनि का उच्च अष्टक है। स्वाति नक्षत्र पर वायु या फिर कहें वायु देवता का शासन रहता है। स्वाति नक्षत्र के विषय में अधिक जानकारी इस नक्षत्र में बैठे चंद्रमा, व्यक्ति के मन में इधर—उधर के विचार ला सकते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोग निष्कर्ष निकालने में सक्षम नहीं होते। ऐसा जातक रीढ़विहीन स्वभाव के हो सकते हैं।स्वाति नक्षत्र के जातक की विशेषताएं समाजसेवी शैक्षिक संस्थाओं का गठन करने वाले इस नक्षत्र से जुड़े जातक अमूमन ट्रैवल, टूरिज्म और विमानन उद्योग से जुड़े होते हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा अपनी ताकत बढ़ाने और स्वतंत्र रहने का प्रयास करते हैं। इनके रिश्ते और साझेदारी अमूमन उतार-चढ़ाव भरी होती है।मार्केटिंग ही क्यों है स्वाति नक्षत्र के लिए सबसे उत्तम क्षेत्रमार्केटिंग में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ बातों की बहुत जरूरत पड़ती है, जैसे अपनी बातों को दूसरों तक पहुंचाना और उपभोक्ताओं की समस्या का तुरंत पता लगाना। इन दोनों ही विषय में स्वाति नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति बहुत ज्यादा अच्छे होते हैं। इसके साथ साथ मार्केटिंग में ऐसे व्यक्तियों की सबसे ज्यादा आवश्यकता पड़ती है, जो अपनी बातों को उपभोक्ताओं के समक्ष हंसते और खिलखिलाते चेहरे के साथ रखें और हर व्यक्ति को समझाना कि उन्हें इस सामान की आवश्यकता है।जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि स्वाति नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का व्यक्तित्व हंसने खेलने वाला होता है। ऐसा नहीं है कि स्वाति नक्षत्र में जन्मे लोगों को सिर्फ मार्केटिंग में सफलता मिलती है। वह अन्य क्षेत्रों में भी सफल हो सकते हैं, लेकिन इस क्षेत्र में सफल होने की संभावना अच्छी होती है। इससे अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट www.vinaybajrangi.com पर जा सकते है और अपॉइंटमेंट बुक करने पर डॉ विनय बजरंगी जी के समक्ष बैठकर आप अपने प्रश्नो के उत्तर पा सकते है।Source: https://sites.google.com/view/vinaybajrangis/blog/swati-nakshatra
पिसीओएस (PCOS) या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम(polycystic ovarian syndrome) अंडाशय को प्रभावित करने वाली एक हार्मोनल (hormonal) स्थिति है। सामान्य मासिक धर्म चक्र(menstural cycle) में, आमतौर पर लगभग 7-8 के आसपास फॉलिकल (follicles) होते हैं जो बढ़ने लगते हैं और इनमें से एक फॉलिकल (follicle) अंडे को छोड़ने के लिए परिपक्व होगा। हालांकि, पीसीओएस से प्रभावित महिला में, एफएसएच (FSH) और एलएच (LH) हार्मोन(hormone) में असंतुलन होता है और एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का अधिक उत्पादन होता है, जिसकी वजह से कोई भी अंडा (egg) परिपक्व नहीं होता है, जिससे एनोव्यूलेश(anovulation) के कारण बच्चा ठहरने में मुश्किल आती है ।(PCOS) का कारण क्या होता है ?
पीसीओएस(pcos) का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन हम जानते हैं कि पैरेंटल जीन्स (parental genes) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। PCOS विकसित होने की अधिक संभावना होती है, अगर उनके परिवार में डायबिटिक (diabetic)जीन (gene)पायी जाती है | एण्ड्रोजन हार्मोन(androgen hormone)(जो कि एक पुरुष हार्मोन है) का अधिक मात्रा में होना (overproduction) भी पीसीओएस (pcos) में कारण हो सकता है। पीसीओएस में महिलाओं में अक्सर एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का लेवल नार्मल मात्रा से अधिक मात्रा में पाया जाता है । यह ओवुलेशन(ovulation) के दौरान अंडे के विकास और उसके रिलीज(release) को प्रभावित कर सकता है। इंसुलिन हार्मोन (insulin hormone)(एक हार्मोन जो शुगर(sugar) और स्टार्च(starch) को एनर्जी (energy) में बदलने में मदद करता है) एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) के बढ़े हुए लेवल का कारण भी होता है। एक डॉक्टर को आपको कब दिखाना चाहिए?यदि आप पीसीओएस (pcos) के इन लक्षणों में से किसी भी लक्षण से पीड़ित हैं| PCOS महिलाओं के उम्र की तीनों अवस्थाओं को प्रभावित करता है | 1-किशोरावस्था के दौरान: (young age) मुंहासे, चेहरे पर अत्यधिक बाल आना और अनियमित पीरियड्स होते हैं।2-प्रजनन आयु के दौरान (reproductive age) पॉलीसिस्टिक अंडाशय(ovaries) के साथ बांझपन की दर(percentage) बहुत अधिक है। इन महिलाओं को आमतौर पर गर्भवती होने में कठिनाई होती है और आमतौर पर गर्भधारण के अवसरों में सुधार के लिए उपचार(treatment) की आवश्यकता होती है।जिन महिलाओं में पीसीओएस की वजह से गर्भधारण करने में मुश्किल हो रही है उन्हें एक प्रजनन चिकित्सक (infertility specialist) से परामर्श करना चाहिए जो पीसीओएस को ठीक से समझता है। बांझपन और गर्भावस्था में मधुमेह (gestational diabetes) की संभावना अधिक होती है। 3- 30-40 के बाद: -(old age)ऐसी महिलाओं के लिए मधुमेह, हृदय रोग, गर्भाशय के कैंसर,के लिए 5 गुना बढ़ा हुआ जोखिम होता है| एक अध्ययन(studies) से पता चला है कि भारत में लगभग 18% महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित हैं और बढ़ते मोटापे के कारण यह समस्या और बढ़ती जा रही है।पीसीओएस में गर्भधारण के इलाज को तीन steps में किया जा सकता है जैसे – १- पहला इलाज़ जिसमें महीने के दूसरे या तीसरे दिन से अंडा बनाने की दवाई खिलाकर अल्ट्रासाउंड के जरिये अंडे की वृद्धि को देखते हुए महिला को दिन बता दिए जाते हैं जब हस्बैंड (husband) और( wife) को साथ में रहना होता है |२-अगर पहले इलाज से गर्भधारण नहीं हो पाता तो IUI (intra uterine insemination) के द्वारा गर्भधारण कराया जा सकता है जिसमें कि अंडा बनने पर हस्बैंड (husband) के शुक्राणुओं को लैब (andrology lab) में तैयार करके बच्चेदानी में एक पतली नली के द्वारा डाल दिया जाता है | यह एक दर्दरहित प्रोसीजर (procedure) होता है जिसे करने में सिर्फ ५-१० मिनट ही लगते हैं | ३- आखिरी इलाज IVF (in vitro fertilization) होता है जो कि तब किया जाता है जब पहले सारे इलाज करने के बावजूद गर्भधारण करने में असफलता प्राप्त होती है |IVF में अंडा बनाने के लिए दवाई की जगह इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है ताकि अंडों की अधिक मात्रा में प्राप्ति हो | जिससे हमें एक बार में ही अधिक भ्रूण मिलने की सफलता प्राप्त हो | यह इंजेक्शन १०- १२ दिन लगते हैं और बारहवें दिन जब सारे अंडे mature हो जाते हैं तब , अल्ट्रासाउंड (ultrasound) के जरिये देखते हुए अण्डों को निकाल लिया जाता है | यह बिलकुल दर्दरहित होता है और आपको ३-४ घंटे भर्ती किया जाता है | इसके बाद लैब में भ्रूण बनाया जाता है , जिसे ३-५ दिन बाद बच्चेदानी में डाल दिया जाता है | IVF में इंजेक्शन के अलावा और कहीं भी इस प्रक्रिया में कोई दर्द नहीं होता |हालाँकि, आपको यह ध्यान रखना है कि प्रत्येक मरीज अलग होता है और स्थितियाँ एक मामले से दूसरे मामले में भिन्न हो सकती हैं। इसलिए किसी भी तरह के निष्कर्ष पर जाने से पहले एक अच्छे डॉक्टर की राय लें।ज्यादा जानकारी के लिए और आपकी सहायता करने के लिए हमारे ORIGYN FERTILITY AND IVF CENTRE पर संपर्क करेंहमारे चिकित्सक आपकी हर तरह से सहायता करने के लिए तत्पर हैं |
जब से इस असीम ब्रह्मांड की रचना हुयी है, तभी से इंसान और कुदरत के बीच अटूट संबंध रहा है। पेड़ों से हमें जीवनदायिनी ऑक्सीज़न की प्राप्ति होती है, जिसके बिना मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पेड़ हमेशा से ही हमारे जीवन का आधार रहे हैं। आदिकाल से ही समस्त भारतीय समाज में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिली है। भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही पेड़-पौधों को पूजने की परंपरा रही है। हिन्दुस्तान में ऐसा माना जाता है कि विभिन्न वृक्षों में देवताओं का वास होता है। अशोक इंद्र का, कदंब भगवान श्रीकृष्ण का, तुलसी का पौधा विष्णु और लक्ष्मी का, नीम मंसा और शीतला का माना जाता है। पेड़-पौधें प्रकृति के अनमोल देन कहे जाते हैं। ऐसा कोई मजहब नहीं है जो पर्यावरण संरक्षण को महत्व ना देता हो।हैरत और अफ़सोस की बात तो ये है कि भारत जैसे देश में एक तरफ़ जहां पर्यावरण को सर्वोपरि माना गया है और दूसरी तरफ़ बढ़ती आबादी अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए वृक्षों को काट रहे हैं। जिस रफ्तार से पेड़ और पौधे काटे जा रहे है, वो दिन दूर नहीं है जब पेड़ों का अस्तित्व यानी मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा। आंकड़े बताते हैं कि मानव सभ्यता की शुरुआत से अबतक 3 लाख करोड़ से भी ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 का अध्ययन करके ये पता चला है कि भारत में वन क्षेत्र कुल 7,12,249 वर्ग किलोमीटर है। भारत के लोगों में वृक्षारोपण को लेकर जागरूकता बढ़ी है और यही वजह है कि जनमानस अब पेड़ पौधों की अहमियत से वाकिफ़ हो रहे हैं। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्य पौधारोपण करके लोगों में जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं जिससे लोग बढ़चढ़कर इस पुनीत कार्य में हिस्सा ले सकें।पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से हिन्दराइज फाउंडेशन के योद्धा दिल्ली एनसीआर के अलग-अलग इलाकों में वृक्षारोपण कर रहे हैं और संस्था के साथ जुड़ने के लिए लोग भी आगे आ रहे हैं।हिन्दराइज फाउंडेशन के पितामह नरेंद्र कुमार के अनुसार प्रकृति का संरक्षण ही सभी के लिए प्राणमयी ऊर्जा है। हिन्दराइज सोशल वेल्फेयर फाउंडेशन के सदस्यों ने ना सिर्फ पौधे लगाने पर जोर दिया है बल्कि लोगों को पौधों की समुचित देखभाल करने के लिए प्रेरित भी किया है।आओ मिलकर पौधे लगाते हैं,धरा को हरा-भरा बनाते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार स्वाति नक्षत्र/Swati Nakshatra 27 नक्षत्रों में से एक है। स्वाति शब्द सु + अति से बना है, जिसका अर्थ बहुत अच्छा या स्वतंत्र होता है। स्वाति का एक और अर्थ है — धर्मगुरु, जिसे धर्मशास्त्र में महारत हासिल है। स्वाति नक्षत्र से जुड़े कुछ रहस्ययह नक्षत्र धर्म, अंतर्ज्ञान और भगवान का कारक है। जो व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेता है, वह इस नक्षत्र के विषय में जानने का हमेशा इच्छुक रहेगा। इस नक्षत्र की ऊर्जा बहुत दूर तक बिखरती है। कहीं पर यह नक्षत्र कायापलट या फिर कहीं पर बदलाव का बिंदु बन जाता है।खुद को पूरी तरह से स्वतंत्र कर लेने की चाह इस नक्षत्र की पहचान है। हालांकि जीवन की कोई भी प्रक्रिया हो, उसमें यह बहुत अस्त—व्यस्त दिखाई देते हैं। इस नक्षत्र से जुड़े जातक मार्केटिंग आदि के क्षेत्र में अत्यंत सफल साबित हो सकते हैं। ऐसा क्यों होता है चलिए समझते हैं। स्वाति नक्षत्र से जुड़ी मुख्य बातें इस प्रकार देखें तो इस नक्षत्र/Nakshatra से जुड़े व्यक्ति अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं। हालांकि उतार-चढ़ाव का संबंध घर के उस स्वामी पर निर्भर करता है, जिससे यह नक्षत्र प्रभावित रहता है। यह आपसी संबंध, धन आदि से भी जुड़ा होता है। स्वाति नक्षत्र राशि चक्र में पूरी तरह से तुला राशि को प्रभावित करता है, जो कि एक महत्वपूर्ण राशि है। राहु स्वाति नक्षत्र पर शासन करता है, जो कि एक शुष्क ग्रह है और शनि का उच्च अष्टक है। स्वाति नक्षत्र पर वायु या फिर कहें वायु देवता का शासन रहता है। स्वाति नक्षत्र के विषय में अधिक जानकारी इस नक्षत्र में बैठे चंद्रमा, व्यक्ति के मन में इधर—उधर के विचार ला सकते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोग निष्कर्ष निकालने में सक्षम नहीं होते। ऐसा जातक रीढ़विहीन स्वभाव के हो सकते हैं।स्वाति नक्षत्र के जातक की विशेषताएं समाजसेवी शैक्षिक संस्थाओं का गठन करने वाले इस नक्षत्र से जुड़े जातक अमूमन ट्रैवल, टूरिज्म और विमानन उद्योग से जुड़े होते हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा अपनी ताकत बढ़ाने और स्वतंत्र रहने का प्रयास करते हैं। इनके रिश्ते और साझेदारी अमूमन उतार-चढ़ाव भरी होती है।मार्केटिंग ही क्यों है स्वाति नक्षत्र के लिए सबसे उत्तम क्षेत्रमार्केटिंग में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ बातों की बहुत जरूरत पड़ती है, जैसे अपनी बातों को दूसरों तक पहुंचाना और उपभोक्ताओं की समस्या का तुरंत पता लगाना। इन दोनों ही विषय में स्वाति नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति बहुत ज्यादा अच्छे होते हैं। इसके साथ साथ मार्केटिंग में ऐसे व्यक्तियों की सबसे ज्यादा आवश्यकता पड़ती है, जो अपनी बातों को उपभोक्ताओं के समक्ष हंसते और खिलखिलाते चेहरे के साथ रखें और हर व्यक्ति को समझाना कि उन्हें इस सामान की आवश्यकता है।जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि स्वाति नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति का व्यक्तित्व हंसने खेलने वाला होता है। ऐसा नहीं है कि स्वाति नक्षत्र में जन्मे लोगों को सिर्फ मार्केटिंग में सफलता मिलती है। वह अन्य क्षेत्रों में भी सफल हो सकते हैं, लेकिन इस क्षेत्र में सफल होने की संभावना अच्छी होती है। इससे अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट www.vinaybajrangi.com पर जा सकते है और अपॉइंटमेंट बुक करने पर डॉ विनय बजरंगी जी के समक्ष बैठकर आप अपने प्रश्नो के उत्तर पा सकते है।Source: https://sites.google.com/view/vinaybajrangis/blog/swati-nakshatra
हमारी भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक रोग दिन पर दिन बढ़ते जा रहें हैं और ये हमारे मस्तिष्क पर गलत प्रभाव डाल रहे हैं। आज हम जानते हैं डिमेंशिया बिमारी के बारे में, डिमेंशिया वैसे तो कोई बिमारी का नाम नहीं है बल्कि लक्षणों के समूह का नाम है जो की मस्तिष्क की हानि से सम्बन्धित है।इस बिमारी में आदमी को रोजमर्रा के काम करने में भी दिक्कत होती है और उम्र के साथ ये बिमारी बढ़ती जाती है। अल्जाइमर की बिमारी डिमेंशिया में सबसे आम बिमारी है। इसमें हमारी सोचने समझने की ताकत बहुत कम हो जाती है और ऐसा दिमाग पर ज्यादा जोर डालने, अवसाद या अन्य किसी मानसिक बिमारी से हो जाता है। डिमेंशिया के कुछ आम लक्षण हैं :शार्ट टर्म मेमोरी लॉसचीजें रख के भूल जानाखाना खाना याद नहीं रहनाघूमने जाना भूल जाना डिमेंशिया की बहुत सी किस्में प्रोग्रेसिव होती है मतलब बढ़ती रहती हैं अगर आपको ये समस्याएं हैं तो हो सकता उम्र के साथ ये और बढ़ती चली जाएँ, इसलिए अच्छा यही है की आप तुरंत डॉक्टरी सलाह लें। डिमेंशिया दिमाग में सेल्स को क्षति पहुंचने के कारण होता है, इसमें सेल्स सही से काम नहीं कर पाते और सूचना का आदान प्रदान ढंग से नहीं हो पाता, इस से हमारी सोचने समझने और अन्य काम करने की शक्ति पर फ़र्क़ पड़ता है। वैसे तो डिमेंशिया में सेल्स स्थाई रूप से ख़राब हो जाते है, पर हम इन लक्षणों को सही कर डिमेंशिया को कम कर सकते हैं डिप्रेशनअत्याधिक शराब पीनाथाइरोइड की समस्याविटामिन की कमी कैसें जांचें डिमेंशिया कोडिमेंशिया को जांच करने का कोई तरीका नहीं है, ये केवल लक्षणों से ही पता लगाया जा सकता है। डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री देख के ही इसका अनुमान लगा सकते हैं । इसके लिए वो कुछ लैब टेस्ट , दिन प्रतिदिन के काम को देख सकते हैं फिर भी डॉक्टर अनुमान ही लगा सकते हैं। एकदम सटीक डिमेंशिया के प्रकार का पता लगाना मुश्किल है, डॉक्टर ज्यादा केस में अल्जाइमर ही बताते है और यदि केस कुछ ज्यादा ही गंभीर है तो डिमेंशिया ही लिख देते हैं। अगर आपको ज्यादा गंभीर डिमेंशिया है तो आपको बड़े दिमागी डॉक्टर से मिलने की जरुरत पड़ सकती है।कैसे करें उपचारडिमेंशिया का उपचार उसके प्रकार पर निर्भर करता है अगर अल्ज़ाइमर और प्रोग्रेसिव डिमेंशिया है तो इसका इलाज न के बराबर ही होता है, ये उम्र के साथ बढ़ता ही रहता है । दूसरे तरह के डिमेंशिया में दवाई से ही असर हो जाता है और रोगी बिलकुल स्वस्थ हो जाता है। इस से बचने के सबसे अच्छा तरीका है, अच्छी जीवनशैली अपनाएं और स्वस्थ आहार लेकर इस के खतरे को कम किया जा सकता है। साबुत अनाज, फल, सब्जियों का भरपूर सेवन करें। आहार में कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, कैल्शियम, फाइबर और मैग्नीशियम का अधिक सेवन करें। नियमित रूप से व्यायाम करें और ज्यादा स्ट्रेस न लें। SOURCE: https://www.flypped.com/main-symptom-of-dementia-disease/hindi/
पिसीओएस (PCOS) या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम(polycystic ovarian syndrome) अंडाशय को प्रभावित करने वाली एक हार्मोनल (hormonal) स्थिति है। सामान्य मासिक धर्म चक्र(menstural cycle) में, आमतौर पर लगभग 7-8 के आसपास फॉलिकल (follicles) होते हैं जो बढ़ने लगते हैं और इनमें से एक फॉलिकल (follicle) अंडे को छोड़ने के लिए परिपक्व होगा। हालांकि, पीसीओएस से प्रभावित महिला में, एफएसएच (FSH) और एलएच (LH) हार्मोन(hormone) में असंतुलन होता है और एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का अधिक उत्पादन होता है, जिसकी वजह से कोई भी अंडा (egg) परिपक्व नहीं होता है, जिससे एनोव्यूलेश(anovulation) के कारण बच्चा ठहरने में मुश्किल आती है ।(PCOS) का कारण क्या होता है ?
पीसीओएस(pcos) का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन हम जानते हैं कि पैरेंटल जीन्स (parental genes) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। PCOS विकसित होने की अधिक संभावना होती है, अगर उनके परिवार में डायबिटिक (diabetic)जीन (gene)पायी जाती है | एण्ड्रोजन हार्मोन(androgen hormone)(जो कि एक पुरुष हार्मोन है) का अधिक मात्रा में होना (overproduction) भी पीसीओएस (pcos) में कारण हो सकता है। पीसीओएस में महिलाओं में अक्सर एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) का लेवल नार्मल मात्रा से अधिक मात्रा में पाया जाता है । यह ओवुलेशन(ovulation) के दौरान अंडे के विकास और उसके रिलीज(release) को प्रभावित कर सकता है। इंसुलिन हार्मोन (insulin hormone)(एक हार्मोन जो शुगर(sugar) और स्टार्च(starch) को एनर्जी (energy) में बदलने में मदद करता है) एंड्रोजन हार्मोन(androgen hormone) के बढ़े हुए लेवल का कारण भी होता है। एक डॉक्टर को आपको कब दिखाना चाहिए?यदि आप पीसीओएस (pcos) के इन लक्षणों में से किसी भी लक्षण से पीड़ित हैं| PCOS महिलाओं के उम्र की तीनों अवस्थाओं को प्रभावित करता है | 1-किशोरावस्था के दौरान: (young age) मुंहासे, चेहरे पर अत्यधिक बाल आना और अनियमित पीरियड्स होते हैं।2-प्रजनन आयु के दौरान (reproductive age) पॉलीसिस्टिक अंडाशय(ovaries) के साथ बांझपन की दर(percentage) बहुत अधिक है। इन महिलाओं को आमतौर पर गर्भवती होने में कठिनाई होती है और आमतौर पर गर्भधारण के अवसरों में सुधार के लिए उपचार(treatment) की आवश्यकता होती है।जिन महिलाओं में पीसीओएस की वजह से गर्भधारण करने में मुश्किल हो रही है उन्हें एक प्रजनन चिकित्सक (infertility specialist) से परामर्श करना चाहिए जो पीसीओएस को ठीक से समझता है। बांझपन और गर्भावस्था में मधुमेह (gestational diabetes) की संभावना अधिक होती है। 3- 30-40 के बाद: -(old age)ऐसी महिलाओं के लिए मधुमेह, हृदय रोग, गर्भाशय के कैंसर,के लिए 5 गुना बढ़ा हुआ जोखिम होता है| एक अध्ययन(studies) से पता चला है कि भारत में लगभग 18% महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) से पीड़ित हैं और बढ़ते मोटापे के कारण यह समस्या और बढ़ती जा रही है।पीसीओएस में गर्भधारण के इलाज को तीन steps में किया जा सकता है जैसे – १- पहला इलाज़ जिसमें महीने के दूसरे या तीसरे दिन से अंडा बनाने की दवाई खिलाकर अल्ट्रासाउंड के जरिये अंडे की वृद्धि को देखते हुए महिला को दिन बता दिए जाते हैं जब हस्बैंड (husband) और( wife) को साथ में रहना होता है |२-अगर पहले इलाज से गर्भधारण नहीं हो पाता तो IUI (intra uterine insemination) के द्वारा गर्भधारण कराया जा सकता है जिसमें कि अंडा बनने पर हस्बैंड (husband) के शुक्राणुओं को लैब (andrology lab) में तैयार करके बच्चेदानी में एक पतली नली के द्वारा डाल दिया जाता है | यह एक दर्दरहित प्रोसीजर (procedure) होता है जिसे करने में सिर्फ ५-१० मिनट ही लगते हैं | ३- आखिरी इलाज IVF (in vitro fertilization) होता है जो कि तब किया जाता है जब पहले सारे इलाज करने के बावजूद गर्भधारण करने में असफलता प्राप्त होती है |IVF में अंडा बनाने के लिए दवाई की जगह इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है ताकि अंडों की अधिक मात्रा में प्राप्ति हो | जिससे हमें एक बार में ही अधिक भ्रूण मिलने की सफलता प्राप्त हो | यह इंजेक्शन १०- १२ दिन लगते हैं और बारहवें दिन जब सारे अंडे mature हो जाते हैं तब , अल्ट्रासाउंड (ultrasound) के जरिये देखते हुए अण्डों को निकाल लिया जाता है | यह बिलकुल दर्दरहित होता है और आपको ३-४ घंटे भर्ती किया जाता है | इसके बाद लैब में भ्रूण बनाया जाता है , जिसे ३-५ दिन बाद बच्चेदानी में डाल दिया जाता है | IVF में इंजेक्शन के अलावा और कहीं भी इस प्रक्रिया में कोई दर्द नहीं होता |हालाँकि, आपको यह ध्यान रखना है कि प्रत्येक मरीज अलग होता है और स्थितियाँ एक मामले से दूसरे मामले में भिन्न हो सकती हैं। इसलिए किसी भी तरह के निष्कर्ष पर जाने से पहले एक अच्छे डॉक्टर की राय लें।ज्यादा जानकारी के लिए और आपकी सहायता करने के लिए हमारे ORIGYN FERTILITY AND IVF CENTRE पर संपर्क करेंहमारे चिकित्सक आपकी हर तरह से सहायता करने के लिए तत्पर हैं |
डायबिटीज को हिंदी मधुमेह कहते है|यह क्या है?शरीर को ठीक से काम करने के लिए, रक्त में ग्लूकोज का एक स्वस्थ स्तर बनाए रखने की आवश्यकता होती है। मधुमेह में इस स्तर का संतुलन बिघड जाता है और यह शरीर में रक्त शर्करा को ग्लूकोज के रूप में संसाधित करने के तरीके को प्रभावित करने लगता है।ग्लूकोज आपके शरीर की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। यह आपके कार्बोहाइड्रेट खाद्य पदार्थों से आता है, जैसे कि रोटी, पास्ता, चावल, अनाज, फल, स्टार्च वाली सब्जियां, दूध और दही।इनका सेवन करने से आपकी रक्त धारा आपके शरीर के चारों ओर ग्लूकोज को पहुंचाती है, और आपकी कोशिकाएं इसे ऊर्जा में बदल देती हैं। शरीर को इंसुलिन (insulin) की आवश्यकता होती है जिसका उत्पादन अग्न्याशय (Pancreas) में होता है। यह इन्सुलिन ग्लूकोज (glucose) को तोडकर आपकी कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए मददगार होता है|मधुमेह या डायबिटीज के मुख्यतः 2 प्रकार होते है (Types of Diabetes) –Type 1 डायबिटीजType 2 डायबिटीजटाईप 1 डायबिटीज-(Type 1 Diabetes)टाईप 1 में अग्न्याशय (Pancreas) (आपके पेट के पीछे का अंग) बहुत कम इंसुलिन या बिल्कुल भी इंसुलिन पैदा नहीं करता है। इंसुलिन एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला हार्मोन है, जो अग्न्याशय की बीटा कोशिकाओं द्वारा निर्मित होता है, जो शरीर को ऊर्जा के लिए चीनी का उपयोग करने में मदद करता है।टाईप 2 डायबिटीज–(Type 2 Diabetes)टाईप 2 में अग्न्याशय (Pancreas) इंसुलिन बनाता है, लेकिन बनाया गया इंसुलिन (insulin) उस तरह से काम नहीं करता जैसा उसे करना चाहिए। इस स्थिति को इंसुलिन प्रतिरोध या इंसुलिन रेजिस्टन्स (insulin resistance) कहा जाता है।मधुमेह वाले लगभग 5% लोगों में ही टाइप 1 होता है। यह पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करता है। जबकी टाईप २ मधुमेह की संख्या दिन ब दिन बढती ही जा रही है। टाईप १ को ठीक करना बहुत कठीन होता है। जबकी टाईप 2 को रिवर्स कर सकते है। मधुमेह या टाईप 2 होने का मूल कारण इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) है .ऐसी 7 बाते हैं जो इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनते हैं| उन्हे इस प्रकार विभाजित किया जाता है|• आहार संबंधी चार कारण• व्यायाम संबंधी दो कारण• तनाव संबंधी एक कारणटाईप 2 मधुमेह में ये लक्षण देखे जाते है-• अधिक बार मूत्र आना, आमतौर पर रात में देखा जाता है• शुष्क मुँह• सामान्य से अधिक प्यास लगना• थकान, सुस्ती या जलन महसूस होना• खाए जाने के बावजूद लगातार भूख लगना• कट, घाव या अल्सर का धीरे-धीरे ठीक होना• खुजली, त्वचा में संक्रमण• मूत्राशय में संक्रमण• धुंधली दृष्टि• वजन में बदलाव – वजन में धीरे-धीरे वृद्धि• मिजाज में बदलाव• सिरदर्द• चक्कर आना• निचले पैरों और / या पैरों में दर्द या झुनझुनी होनामधुमेह के संभावित समाधान क्या हैं?आम तौर पर मधुमेह के होने का पता चलते ही उसे नियंत्रित करने पर ही ध्यान दिया जाता है। अँटी डायबेटीकी मेडिक्शन पर रखकर। जीन स्थितियो में शुगर नियंत्रण खो देती है वहा इन्सुलिन दिया जाता है या इन्सुलिन की आवश्यकता होती है। लगभग 10 साल पहले मधुमेह (diabetes) के रिवर्स होने के बारे में कोई नहीं जानता था। लेकिन अब अध्ययन के माध्यम से हमें रिवर्सल के 7 सत्य पता चल गए हैं और ये अनुभवजन्य सत्य हैं।फ्रिडम फ्रॉम डायबिटीज एक ऐसी संस्था है जो डायबिटीज रिवर्स करने में एक्स्पर्ट है। इस संस्था के संस्थापक डॉ प्रमोद त्रिपाठी जी है। डाएट, एक्सरसाईज, आंतरिक परिवर्तन और मेडिकल इन चार आधार स्तंभोपर काम करके इन्होने ९९,००० लोगो के जीवन में परिवर्तन लाया है।इन का डायबिटीज रिव्हर्सल प्रोग्रॅम एक बहुत बेहतरीं प्रोग्रॅम है जहाँ डॉक्टर, मेंटॉर, एक्सरसाईज एक्स्पर्ट, डीएटिशियन की मदद से चरण-दर-चरण डायबिटीज की दवा अथवा इन्सुलिन से फ्रिडम पाया जा सक्ती है।हमारे website को भेट देकर आप अनेक लोगो के बारे में जान सकते है जिन्होने अपना डायबिटीज रिवर्स किया है|