सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को तलाक देने की छूट दी,किंतु साथ ही कहा कि बच्चों के साथ तलाक नही हो सकता।सुप्रीम कोर्ट ने रत्न व आभूषण व्यापार से जुड़े मुंबई के रहने वाले इस व्यक्ति को 4 करोड़ रुपये की समझौता राशि जमा कराने के 6 सप्ताह का वक्त दिया है।सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही भारतीय संविधान के आर्टिकल 142 के तहत मिली अपनी समग्र शक्तियों का प्रयोग करते हुए साल 2019 से अलग रह रहे दंपति के आपसी सहमति से तलाक पर मुहर लगा दी।इससे पूर्व जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ से सुनवाई के दौरान पति के पक्षकार अधिवक्ता ने कोरोना महामारी से व्यापार में नुकसान का हवाला देकर समझौता राशि देने के लिए कुछ और वक्त मांगा है।लेकिन पीठ ने कहा,आपने स्वम समझौते में सहमति दी है कि तलाक की डिक्री वाले दिन आप 4 करोड़ रुपये का भुगतान करेंगे।अब यह वित्तीय बाधा का तर्क देना सही नही होगा।समझौता वर्ष 2019 में हुआ था और उस वक्त कोरोना महामारी नही थी।पीठ ने कहा आप पत्नी को तलाक दे सकते है।लेकिन बच्चों से तलाक नही ले सकते,क्योंकि आपने उन्हें जन्म दिया है।आपको उनकी देखभाल हर हाल में करनी होगी।https://lawtrend.in/supreme-court-ne-kaha-patni-ko-talak-de-sakte-hain-lekin-bachchon-ko-nahi/
दिल्ली में जन्म लेने वाले Sidharth Malhotra का जन्म 16 जनवरी 1985 को हुआ ने अपने करियर की शुरुआत मोडलिंग से की थी और उसके बाद इन्होने धीरे धीरे फ़िल्मी दुनिया में अपना हाथ अजमाया और शुरुआत की जाने माने डायरेक्टर करण जौहर के साथ बतौर सहनिर्देशक काम करते हुए 2010 में और फिल्म थी “ माय नेम इज खान “ और इसके बाद As an Actor इन्होने अपने करियर की शुरुआत सन 2012 में करण जौहर की ही फिल्म “ स्टूडेंट ऑफ़ दी इयर “ से की और आपको बता कि इसी फिल्म में Director महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट ने और वरुण धवन जो कि डेविड धवन के बेटे है ने भी इसी फिल्म के जरिये अपने अपने करियर की शुरुआत की और इसका पूरा पूरा श्रेय फिल्म निर्देशक करण जौहर को जाता है AIB ( All India Backchod) जो कि एक कॉमेडी स्टार्टअप है उसके द्वारा किये गये एक विवादित शो AIB ROAST में (जो कि असल में नहीं है बात लोगो के नजरिये की है ) इस बारे में तन्मय भट्ट ने करण जौहर का इस बात को लेकर मजाक भी बनाया गया था | खैर हम बात कर रहे थे sidharth malhotra के life के बारे में तो इसलिए यह जानना भी जरुरी है कि सिद्धार्थ के साथ इनकी फिल्म “ Student of the Year” में सिद्धार्थ के साथ अलिया की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया और कमाई के अनुसार यह फिल्म सुपरहिट रही थी | सन 2014 में सिद्धार्थ की दो और फिल्मे हंसी तो फंसी और एक विलेन प्रदर्शित हुयी जिसे भी दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया |sidharth malhotra biography in hindiEarly lifesidharth malhotra का जन्म एक पंजाबी परिवार में दिल्ली में हुआ और उनके पिता सुनील मल्होत्रा Indian merchent navy में एक कर्मचारी थे | स्कूल की पढाई दिल्ली में ही दो स्कूलों में पूरी करने के बाद 18 साल की उम्र में sidharth malhotra ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही “ शहीद भगत सिंह कॉलेज” में अपना दाखिला लिया और साथ ही मोडलिंग की दुनिया में भी अपना करियर शुरू किया लेकिन सफल मॉडल होने के बाद भी चार साल बाद इन्होने मॉडलिंग को छोड़ने का फैसला किया क्योंकि वो अपने करियर के फील्ड को लेकर संतुष्ट नहीं थे और जब इंसान अपनी जिंदगी से सन्तुस्ट नहीं होता है तब वह या तो सबकुछ छोड़ देता है या कुछ बड़ा करने का निर्णय लेता है। बड़ा करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अंदर से मोटिवेटेड रहना, सिद्धार्थ मल्होत्रा उन इंसानो में से है जो खुद को सेल्फ मोटीवेट कर सकते है बिना किसी बाहरी प्रभाव के अगर आपके अंदर सेल्फ मोटिवेशन की कमी है तो आप हिंदी मोटिवेशनल कोट्स का रोजाना इस्तेमाल करके अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर हो सकते है जैसा बाद में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने एक फिल्म में रोल के लिए इन्होने ऑडिशन भी दिया जबकि वह फिल्म बाद में टल गयी थी जिसके बाद इन्होने करण जौहर के साथ काम बतौर सह निर्देशक किया और उसके बाद उन्होंने जिन फिल्मो में काम किया उसके बारे में हम जानते ही है |Career and Filmsidharth malhotra ने जब अपने करियर की शुरुआत अपनी पहली फिल्म “ Student of the year “ के साथ की तो इनके अभिनय को न केवल फिल्म आलोचक राजीव मसंद ने भी सराहा बल्कि कमाई की नजरिये से भी फिल्म सफल रही थी और आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राजीव मसंद भी उस विवादित शो AIB ROAST में शामिल थे जिस पर कथित तौर पर खुद को सभ्य कहने वाले लोगो ने उस शो के पर बहुत बवाल मचाया जो कि बस एक तरह से अलग “व्यस्क कॉमेडी” शो था |sidharth malhotra actor hindi biographyउसके बाद सिद्धार्थ ने दूसरी फिल्म “ हंसी तो फंसी ” पर भी काम किया है जिसमे इनके साथ अदा शर्मा और परिणिति चोपड़ा सहकलाकार थे और यह एक रोमांटिक कॉमेडी मूवी थी और इसके बाद sidharth malhotra मोहित सूरी की एक रोमांटिक थ्रिल्लर फिल्म “ एक विलेन “ में नजर आये जिसके बारे में हर किसी के अलग व्यूज हो सकते है लेकिन अगर कमाई की बात करें तो वह फिल्म भी एक सफल फिल्म थी और ऐसे में सिद्धार्थ ऐसे कलाकारों में शामिल हो गये जो नये आये कलाकारों में सफल कहे जा सकते है |फ़िल्मी दुनिया के इतर अगर बात करें तो सिद्धार्थ की छवि एक बेहतर इन्सान के तौर पर है क्योंकि इन्होने कई सारे तरीकों से सामाजिक कार्यों के लिए फंडिंग की है और साथ ही अक्सर चैरिटी भी करते रहते है और उत्तराखंड में बाढ़ आने के समय अपने साथी कलाकारों के साथ इन्होने पैसे जुटाने के लिए एक इवेंट में भी परफॉर्म किया | इसके अलावा sidharth malhotra को अपने काम के लिए और अपने लुक के लिए भी Times of india के द्वारा कई तरह की सूचियों में शामिल किया गया है |Relationship and rumorsइसके अलावा अगर रिलेशनशिप की बात करें तो अख़बारों में और न्यूज़ चैनल्स में इनका नाम कई बार साथी एक्ट्रेस अलिया भट्ट के साथ जोड़ा गया है लेकिन सिद्धार्थ ने इन सबको कोरी अफवाह बताते हुए इस बारे में एकदम साफ़ कर दिया है कि अभी केवल वो काम करना चाहते है और शादी के लिए अभी काफी उम्र बाकि है | वैसे अगर फिल्म जगत से आने वाली ख़बरों पर विश्वाश करे तो यह भी सुनने में आया है कि एक फिल्म “कपूर एंड संस” में उन्होंने एकदम अलग रोले निभाया है क्योंकि इस फिल्म में वो लेखक के तौर पर काम कर रहे है और इस रोल के लिए वो इतनी मेहनत कर रहे है कि उन्होंने इस रोल में खुद को फिट बिठाने के लिए एक डायरी को अपने पास रखना शुरू कर दिया और उसमें कुछ लिखने की आदत भी डाल रखी है | मार्च 2016 में रिलीज होने वाली इस फिल्म में उनके द्वारा प्ले किये जाने वाले रोले को लेकर वो इतने संजीदा है कि वो अपनी जिन्दगी में होने वाले छोटे छोटे घटनाओं को वो नोट करते रहते है ताकि इस रोल के लिए एकदम सहज रह सकें |Natureइसके अलावा sidharth malhotra के बारे में यह बात भी लोग जानते है कि वो स्वाभाव से काफी शर्मीले है हालाँकि ओन-स्क्रीन उनकी जोड़ी अलिया के साथ बेहद क्यूट और हॉट नजर आती है और हो सकता है रियल life में अपने साथ काम करने वाले साथी कलाकारों के साथ वो सहज महसूस करतें हो लेकिन लड़कियों के मामले में सिद्धार्थ काफी शर्मीले तौर पर जाने जाते है |इसके अलावा सिद्धार्थ अपनी बात को प्रभावी तरीके से रखने के लिए जाने जाते है क्योंकि मुम्बई एक बार पाकिस्तान के किसी कृत्य को लेकर इस बारे में शिवसेना ने नाराजगी जाहिर करते हुए पाकिस्तान के कलाकरों पर प्रतिबन्ध लगाने तक की बात कह डाली थी ऐसे में सिद्धार्थ के साथ काम करने वाले एक पाकिस्तान के कलाकार के समर्थन में सिद्धार्थ ने एक समारोह के दौरान उन्होंने इस बारे में कहा कि “ कलाकार कलाकार होता है उसे किसी देश या संस्था की सीमाओं में बांधकर देखना ठीक नहीं है और यह रचनात्मकता का सवाल है |” तो इस तरह हम सिद्धार्थ मल्होत्रा को एक जागरूक अभिनेता के रूप में देख सकते है जो जीवंत मुद्दों को लेकर सजग भी है और एक बेहतर कलाकार भीइसके अलावाsidharth malhotra एक बेहतरीन रग्बी प्लेयर भी है और दिल्ली में पले बढे होने के बाद भी इन्हें आउटडोर खेलों में बहुत रूचि है और वो इस बारे में बढ़ावा देने को भी तत्पर रहते है | इसके साथ ही सिद्धार्थ की फ़ुटबाल टीम की तरफ से भी खेलते है और उनका मानना है कि जिम जाकर अपनी सेहत के लिए कुछ करने से बेहतरीन है जिम से बाहर जाकर खेलों के जरिये खुद को फिट रखना क्योंकि ऐसे में आप दिमाग और दिल के साथ साथ शरीर की सेहत का भी बेहतर ख्याल कर सकते है | सिद्धार्थ को प्रकृति से बेहद लगाव है ऐसा वो कहते है क्योंकि टूरिज्म न्यूजीलैंड के पहले भारतीय एम्बैसडर बने है |तो ये है sidharth malhotra biography in hindi और अधिक जानकारी या अपने किसी सवाल के लिए आप हमे ईमेल कर सकते है और हमारी वेबसाइट से hindi biography Update पाने के लिए आप हमे फेसबुक पर फॉलो भी कर सकते है
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के साथ बढ़े ‘‘तनाव को कम’’ करने के लिए पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है । पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि, देश के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को सोमवार को पत्र भेजकर दोनों देशों के बीच तनाव कम करने में उनकी मदद मांगी ।बता दें कि, कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकी हमले में करीब 40 जवान शहीद हो गए । इस हमले की जिम्मेदारी खुद पाकिस्तान के आतंकी जैश-ए-मोहम्मद ने ली है । इस हमले से भारत और पाकिस्तान के बीच अब तनाव की स्थिति पैदा हो गई है । कुरैशी ने अपने पत्र में लिखा, ‘‘मैं भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ बल प्रयोग के खतरे के कारण हमारे क्षेत्र में खराब हो रहे सुरक्षा हालात की ओर आपका ध्यान आकर्षित करता हूं.’’भारत ने कश्मीर मामले पर किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को नकार दिया है और वह कहता आया है कि भारत एवं पाकिस्तान के संबंधों से जुड़े सभी मामलों को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। कुरैशी ने अपने पत्र में कहा कि भारतीय सीआरपीएफ जवानों पर पुलवामा में हमला स्पष्ट तौर पर एक कश्मीर निवासी ने किया था.
यहां तक कि भारत ने भी यही कहा है ।https://www.abstarnews.com/2019/02/20/security-situation-worsening-in-our-area-due-to-threat-of-force-use-against-pakistan-quraishi/
मुंबई: कर्ज में डूबे मुकेश अम्बानी के छोटे भाई अनिल अम्बानी ने तीन चीनी बैंकों से लोन मामले में अपनी संपत्ति को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उनके पास कोई महत्वपूर्ण संपत्ति नहीं है। वहीं अब उनका खर्च उनकी पत्नी और परिवारवाले संभालते हैं। अनिल का यह भी कहना है कि उनकी आय का अब कोई दूसरा जरिया नहीं है और अब वे एक साधारण व्यक्ति हैं।तीन चीनी बैंकों से लिया था $700 मिलियन का क़र्ज़दरअसल अनिल अम्बानी और उनकी कंपनी रिलायंस कॉम ने फरवरी 2012 में तीन चीनी बैंकों से $700 मिलियन से अधिक का ऋण लिया था , जिसकी पर्सनल गारंटी अनिल अंबानी ने ली थी। जहाँ अब उनकी यह कंपनी दिवालिया हो चुकी है तो बैंकों ने ब्याज के साथ रकम वसूलने के लिए उन पर मुकदमा किया है। इन लोन देने वाले बैंकों में इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना लिमिटेड (मुंबई ब्रांच), चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्जिम बैंक ऑफ चाइना हैं।लंदन हाई कोर्ट ने सुनाया था फैसलाइस केस में बीते 22 मई 2020 को लंदन हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि अनिल अंबानी 12 जून तक तीन चीनी बैंकों को $7.
17 मिलियन का भुगतान करेंगे, लेकिन जब तय समय पर यह भुगतान ना हुआ बैंकों ने संपत्ति घोषित करने की मांग की थी। इसपर अदालत ने अनिल अंबानी को 29 जून को दुनिया में फैली अपनी संपत्तियों को घोषित करने का आदेश भी पारित किया था।कानूनी विकल्पों का होगा इस्तेमालयही नहीं उनसे उनके ऐफिडेविट में यह भी बताने को कहा गया कि उन संपत्तियों में उनकी पूरी हिस्सेदारी भी है या वो इनमे भी किसी के साथ संयुक्त हकदार हैं। इसके साथ ही तीन चीनी बैंकों ने यह साफ़ कहा है कि वे जरुरत पड़ी तो अनिल अम्बानी के खिलाफ अपने बाकी सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे।
आप कहेंगे पहले गाँव आया फिर शहर, बिलकुल सही बात है। गाँव का निर्माण पहले हुआ है उसके बाद ही शहर अस्तित्व में आया। परन्तु यह दुखद है कि शहर के मुक़ाबले गाँव पिछड़ता चला गया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने कहा था कि ‘‘भारत की आत्मा गाँव में बसती है’’। भारत गाँवों का देश है। उन्होंने अपने सपनों के भारत में गाँव के विकास (Rural Devlopment) को प्रमुखता दी थी। जैसा कि आप सभी भी जानते हैं, गाँव हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के स्रोत एवं केंद्र रहे हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों, वेदों, पुराणों, स्मृतियों में भी ग्रामीण जीवन का विस्तार से उल्लेख है। गाँधीजी ने अपने सपनों के भारत में अपनी व्यापक दृष्टि का परिचय देते हुए तमाम स्थानीय आवश्यकता पूर्ति के लिए ग्रामीण विकास और पंचायती राज (Rural Development and Panchayati Raj) की महत्ता प्रदान की थी। उनका कहना था कि ग्राम स्वराज (Gram Swaraj) से ही भारत के गाँव आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
पेरिस में हो रही फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स की मीटिंग में चीन और सऊदी अरब ने भारत, यूरोपियन यूनियन और अमेरिका का समर्थन दिया है, इस से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। अब पाकिस्तान को मनी लॉन्डरिंग और आतंकवाद पर जल्द ही काम करना पड़ेगा इसके अलावा उसे सभी आतंकवादियों पर केस चला के उनका खात्मा करना पड़ेगा । इस मीटिंग में केवल तुर्की ही पाकिस्तान के साथ था, पाकिस्तान को शुरुआत से लग रहा था चीन उसका साथ देगा पर चीन के इस कदम से उसे बड़ा झटका लगा है। सूत्रों के मुताबिक़ इसके बाद पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में ही रहेगा और उसको इस साल जून तक आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने पड़ेंगे अगर वो ऐसा नहीं करता है तो उसे इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। पिछले साल विदेश मंत्रालय ने महाबलीपुरम में हुई अनौपचारिक मीटिंग के बाद कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति सी जिंगपिंग आतंकवाद को ले कर चिंतित हैं क्योंकि ये जनमानस के लिए एक बड़ा खतरा है । भारत और चीन जैसे बड़े और विविध देश आतंकवाद के खिलाफ काम करने के महत्व को समझते हैं, हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि अंतराष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद के खिलाफ मानकों को कड़ा बनाये। पाकिस्तान के दुनिया और अपने लोगों को दिखाने के लिए पाखण्ड का सहारा लिया था, पाकिस्तान कि सभी कोशिशों के बाद भी वो ग्रे लिस्ट में है और रहेगा अब ये पाकिस्तान के ऊपर है वो मीटिंग के मानकों को माने और अगली बार खुद को ग्रे लिस्ट होने से बचाये। पाकिस्तान को सभी सदस्य देशों ने कड़ी चेतावनी दी है कि वो जून 20 तक आतंकवाद के खिलाफ 13 एक्शन ले अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहे , ये सब बातें एक सूत्र ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से कहीं। आपको बता दें कि पाकिस्तान ने ग्रे लिस्ट से बचने के लिए अपने आतंकी हाफ़िज़ सईद और उसके साथियों को 11 साल कि सजा सुनाई है और उसने हाल ही में बयान दिया था कि कुख्यात आतंकी मसूद अज़हर लापता हो गया है। पर चीन और सऊदी के इस कदम के बाद पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अकेला पड़ गया है Read More: https://www.flypped.com/china-supports-india-and-pakistan-could-not-escape-the-gray-list/hindi/
Kiradu Temple in Rajasthan: हमारे सामने आने वाले कई तथ्य ऐसे होते है जो हमें हैरान कर देते है जिन पर हम चाहकर भी विश्वास नहीं कर पाते है। आपने कभी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहाँ रात को रुकने पर आप इंसान से पत्थर बन सकते है। हो गए ना हैरान?
अगर नहीं, तो हम आपको आज ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जहाँ अगर आप रात को ठहरे तो इंसान से पत्थर में बदल जाएगें। चलिए जानते है इस रहस्यमय जगह के बारे में।राजस्थान का ये गांव (Kiradu Temple in Rajasthan)राजस्थान की ताप्ती रेतीली धरती अपने अंदर कई राज समेटे बैठी हैं। यह राज ऐसे होते हैं जिन्हें जानकर बड़े-बड़े हिम्मतवालों के पसीने छूट जाते हैं। कुलधारा गांव और भानगढ़ का किला राजस्थान में स्थित ऐसे ही रहस्यमय स्थानों में से एक है जो पूरी दुनिया में भूतिया स्थान के रुप में में जाने जाते है।बारमेर जिले में स्थित किराडू का मंदिर (Kiradu Temple) रहस्य के मामले में कुलधारा और भानगढ़ जितना ही खौफनाक है। यह मंदिर राजस्थान में खजुराहो मंदिर के नाम से मशहूर है जो प्रेमियों के लिए विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र हैं। लेकिन इस जगह की खौफनाक हकीकत को जानने के बाद कोई भी शख्स सूरज ढलने के बाद यहां ठहरने की हिम्मत नहीं करता है।पत्थर का बन जाता है इंसान (Mysterious Temples in India)किराडू के मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां शाम होने के बाद जो भी रह जाता है वो या तो पत्थर का बन जाता है या फिर मौत की गहरी नींद में सो जाता है। इस स्थान के बारे में यह मान्यता सदियों से चली आ रही है। पत्थर बन जाने के खौफ के कारण यह इलाका शाम होते ही पूरा वीरान हो जाता है।इस मान्यता के पीछे एक ऐसी अजीब कहानी है जिसकी गवाह एक औरत की पत्थर की मूर्ति है, जो किराडू से कुछ दूरी पर सिहणी गांव में स्थित है। किराडू के लोग बन गए पत्थर (Kiradu Temple History in Hindi)यह बात वर्षों पहले की है जब किराडू में एक तपस्वी पधारे थे। इनके साथ शिष्यों की एक टोली थी। एक दिन तपस्वी अपने शिष्यों को गांव में ही छोड़कर भ्रमण के लिए चले गए। इस दौरान अचानक शिष्यों का स्वास्थ्य काफी ख़राब हो गया।उस समय गांव के लोगों ने शिष्यों की कोई मदद नहीं की। जब तपस्वी किराडू लौटे कर वापस आए और अपने शिष्यों की ये दशा देखी तो क्रोधित होकर गांव वालों को श्राप दिया कि जिस स्थान के लोगों का हृदय पाषाण का हैं वह इंसान बने रहने के योग्य नहीं हैं इसलिए सब पत्थर के बन जाएं।सिर्फ एक कुम्हारन थी जिसने शिष्यों की मदद की थी। उस पर दया करते हुए तपस्वी ने कहा कि तुम इस गांव से चली जाओ वरना तुम भी गांववालों के साथ पत्थर की बन जाओगी। लेकिन याद रखना गांव से जाते समय भूल से भी पीछे मुड़कर मत देखना।तपस्वी की आज्ञा का पालन करते हुए कुम्हारन गांव से चली जाती है लेकिन उसके मन में यह बात आने लगती है कि तपस्वी की कही बात सच भी है या नहीं और वह पीछे मुड़कर देख लेती हैं। इस तरह मुड़कर देखते ही वो महिला भी पत्थर की बन जाती है। सिहणी गावं में स्थापित कुम्हारन की पत्थर की मूर्ति आज भी उस घटना की याद दिलाती है।
CWC की बैठक में कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी शामिल हुए। सोनिया गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक को संबोधित किया।कोरोना संकट के बीच कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) की बैठक में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कोरोना वायरस के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों पर चिंता जाहिर की है। सोनिया गांधी का कहना है कि देश में अभी टेस्टिंग बहुत कम संख्या में हो रही है, इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है, जो गंभीर बात है।राज्यपाल जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान, ये राजनीतिक रोटियां सेंकने का समय नहीं हैCWC की बैठक में कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी शामिल हुए। सोनिया गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक को संबोधित किया। उनका कहना है कि जब सभी को एक साथ होकर इस महामारी से लड़ना चाहिए था तो बीजेपी उस समय नफरत के वायरस फैला रही है। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो भी सुझाव दिए जा रहे हैं उनपर मोदी सरकार ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने आगे कहा कि कोरोना वायरस से जंग में जो स्वास्थ्यकर्मी दिन रात लड़ रहे हैं उन्हें सरकार अच्छी क्वालिटी के पीपीई किट मुहैया कराने में असफल रही है।सोनिया गांधी ने आगे कहा कि मुश्किल के इस वक्त में सरकार को गरीब, मजदूरों और किसानों के खाते में 7500 रुपये डालने चाहिए। जिससे वो अपने परिवार का पेट भर सके। किसानों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से देश का किसान काफी परेशान है। अस्पष्ट खरीद नीतियों के अलावा सप्लाई चेन में आ रही परेशानी ने किसानों को बेहाल कर दिया है। सरकार को किसानों की समस्या को सुनकर इसका समाधान करना चाहिए। अखिलेश यादव ने सरकार पर साधा निशाना, कहा- जनता के साथ धोखाकेंद्र सरकार पर टेस्टिंग के आरोप लगाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि हमने बार-बार सरकार से कहा कि वो टेस्टिंग की गति को बढ़ाये। क्योंकि इस महामारी से लड़ने के लिए एक सबसे बड़ा हथियार टेस्टिंग ही है। लेकिन सरकार सुनने को ही तैयार नहीं है। देश में टेस्ट का अनुपात काफी कम है। इसके अलावा कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए डॉक्टरों को जो पीपीई किट दी जा रही है वो भी अच्छी क्वालिटी की नहीं है।AB STAR NEWS के ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं.
खानवा का युद्ध भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण युद्धों में से एक था क्योंकि इसी के पश्चात ही भारत में हिन्दू राज्य की स्थापना का सपना हमेशा के लिए टूट गया था और मुग़ल साम्रज्य की भारत में नींव और भी मजबूत हो गयी थी। मुग़ल शासक हुमायूँ का इतिहास जानेखानवा का युद्ध महा शूरवीर राजपूत नरेश राणा सांगा और महा पराक्रमी मुग़ल बादशाह बाबर के मध्य 17 मार्च 1527 में लड़ा गया था जिसमे राजपूत नरेश राणा सांगा को पराजय का सामना करना पड़ा था |यह युद्ध स्थल आगरा से लगभग 40 किलोमीटर दूर खानवा नामक गांव में स्थित है | खानवा युद्ध के विजय के पश्चात दिल्ली- आगरा क्षेत्र में बाबर की स्थिति और भी ज्यादा मजबूत हो गयी थी |खानवा का युद्ध के कारण ( Reason Of Khanwa Ka Yudh):बाबर और राणा सांगा के मध्य खानवा का युद्ध क्यों हुआ इस के बहुत से अस्पष्ट कारण है जो निम्नवत है :-1.
बाबर ने राणा सांगा पर वादा तोड़ने का आरोप लगाया था | बाबर ने अपनी ‘पुस्तक तुजुक-ए-बाबरी’ में लिखा है कि राणा सांगा ने उसे (बाबर) भारत आने का निमंत्रण दिया था और साथ ही इब्राहिम लोदी के खिलाफ युद्ध लड़ने में उसकी सहायता देने का आश्वासन दिया था परन्तु बाद में राणा सांगा अपने इस वादे से मुकर गया | (परन्तु इस वार्तालाप के प्रति इतिहासकार मौन है क्योंकि बाबरनामा के अतिरिक्त वार्तालाप का उल्लेख और कहीं नहीं है | )2.
कुछ इतिहासकारों के अनुसार राणा सांगा ने बाबर पर उनके मध्य हुए समझौते को तोड़ने का आरोप लगाया | यह समझौता था की बाबर राजपूतों पर हमला नहीं करेगा |3.
राणा सांगा ने सम्पूर्ण भारत पर हिन्दू राज्य की स्थापना का सपना देख रहा था वहीं बाबर भी सम्पूर्ण भारत पर मुग़ल सम्राज्य का परचम लहराना चाहता था | एक छत के नीचे दोनों पराक्रमी योद्धाओं का सपना पूर्ण नहीं हो सकता था अत: बाबर और राणा सांगा के मध्य युद्ध दोनों के महत्वाकांक्षी योजनाओं का ही परिणाम था | राणा सांगा के सहयोगी (संयुक्त मोर्चा) :-मुग़ल शासक बाबर के दिल्ली अधिग्रहण और मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के बाद समस्त भारत में खलबली मच गयी थी क्योंकि भारत के सभी राजपूत और अफ़गानों को यह विश्वास था की तैमूर लंग की तरह बाबर भी भारत को लूट कर वापस चला जाएगा परन्तु बाबर की महत्वकांक्षा भारत में राज्य करने की थी ना की वापस जाने की |जिसके तहत बाबर के विरुद्ध अधिकांश राजपूत और अफ़गानी, बाबर के खिलाफ एक भयानक सैन्य गठबंधन बनाने में सफल रहे | अफ़गान राणा सांगा का साथ इस आशा से दे रहे थे कि अगर राणा सांगा जीत जाता है तो उन्हें अपना दिल्ली का तख़्त एक बार फिर से मिल जाएगा |इस सैन्य गठबंधन में राणा सांगा का साथ इब्राहिम लोदी के छोटे भाई महमूद लोदी (जिन्हें अफ़गानों ने अपना नया सुलतान घोषित कर दिया था ), खानजादा हसन ख़ाँ मेवाती, अम्बर, ग्वालियर, चंदेरी, मारवाड़ दे रहे थे | लगभग सभी राजपूतों ने अपने दस्ते भेजे जिनमें सिरोहे ही, हरौती, जालोर, और अम्बर आदि शामिल थे ।बयाना का युद्ध:-खानवा के युद्ध के पहले 16 फरवरी 1527 को राणा सांगा ने बाबर की सेना को मुँह के बल गिराकर, मुग़ल के दुर्ग (चौकी) को अपने कब्जे में कर लिया था।राणा सांगा के इस युद्ध का शौर्य देखकर, बाबार के सैनकों में बहुत ज्यादा असंतोष फ़ैल गया और उनका मनोबल गिरने लगा। इसीलिए बाबर ने अपने सैनिकों के खून में जीत का जज्बा भरने के लिए राणा सांगा विरोधी जंग को जिहाद का नाम दे दिया और और घोषणा की कि वो इस्लाम धर्म की मान प्रतिष्ठा के लिए यह युद्ध लड़ रहे है। युद्ध के ठीक पहले बाबर ने शराब के घड़ों और बोतलों को यह दिखाने के लिए तोड़वा दिया की वह (बाबर) बहुत पक्का मुसलमान है और साथ ही शराब कभी न पीने की कसम खायी । बाबर ने मुसलमानों पर लगने वाले सीमा शुल्क ‘तमगा कर’ को भी समाप्त कर दिया।खानवा का युद्ध Khanwa Ka Yudh (अप्रैल 1527) :-इस युद्ध को भारत की भयावह लड़ाइयों में से एक माना जाता है। बाबर की पुस्तक बाबरनामा के अनुसार राणा सांगा की सेना 2 लाख से भी पार थी । जिसमे 10,000 अफगानी व इतने ही हसन खान मेवाती के फ़ौज सम्मिलित थी। (परन्तु इसमें भी असतिशयोक्ति संभव है)खानवा के युद्ध के समय ही राणा सांगा ने अपनी परम्परा ‘पाती पेरवन’ को पुनर्जीवित करके प्रत्येक सरदार को अपनी और से युद्ध में सम्मिलित होने का निमंत्रण भेजा।खानवा के युद्ध में भी बाबर ने पानीपत की तरह बाहरी प्रतिरक्षा के रूप में बहुत सी गाड़ियों को आपस में जंजीर से बँधवा कर रखवा दिया। घुडसवारों और बंदूकचियो को उसी तरह जमाया गया जैसे कि पानीपत के मैदान में जमवाया था।वीरता और शौर्य से लड़ते हुए अंत में राणा सांगा की सेना बाबर के तोपखाने और उसकी तुलुगुमा युद्ध निति के आगे कमजोर पड़ने लड़ी। बाबर ने राणा सांगा के दाएं बाजू पर भयानक हमला कर उसे लगभग काट ही दिया। राणा सांगा के सरदार ने घायल सांगा को इस युद्ध से बाहर निकला और नेतृत्व-विहीन, राणा सांगा की सेना बाबर की सेना द्वारा पूर्णता घेर ली गयी और उसे पराजय का मुँह देखना पड़ा।राणा सांगा बच निकले और वो एक बार फिर से बाबर से टकराना चाहता था परन्तु राणा सांगा के सरदारों ने उसे ज़हर दे दिया और इस तरह राजस्थान के शूरवीर योद्धा की मृत्यु हो गयी और भारत को हिन्दुत्व राज्य बनाने का सपना हमेशा के लिए सो गया। खानवा युद्ध ने बाबर की विजय के बाद दिल्ली – आगरा क्षेत्र में बाबर की स्थिति को और भी सुरक्षित बना दिया।बाबर ने अपने संस्मरण में लिखा है की :- ”कुछ हिंदुस्तानी तलवारबाज अवश्य ही हो पर अधिकांशत: तो सैन्य तरीकों, स्थितियों और रणनीतिओं से बिलकुल अनजान और अकुशल हैं। खानवा के युद्ध के परिणाम (Result Of Khanwa Ka Yudh)1.
अफ़गान की शक्ति भी भारत में लगभग अपंग हो गयी ।4.
नागरिकों को समानता का अधिकार प्राप्त होने के बावजूद भी वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि प्रत्येक क्षेत्र में असमानता ही देखने को मिलती है। कम होने के बजाए यह दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है जो एक दयनीय मुद्दा है। यदि हम गतवर्षों की बात करें तो 2014 में दुनिया में सबसे अमीर एक प्रतिशत जनसंख्या के पास दुनिया की 48% दौलत थी, जबकि सबसे निचले स्तर पर मौजूद 80% लोगों के पास कुल मिलाकर दुनिया की सिर्फ 6% दौलत थी। यह असंतुलन तब और भी स्पष्ट हो जाता है, जब हम देखते हैं कि सिर्फ 80 व्यक्तियों के पास इतनी दौलत है जितनी दुनिया भर में सबसे कम आय वाले 3.5 अरब लोगों के पास है। औसत आय में असमानता 1990 और 2010 के बीच विकासशील देशों में सिर्फ 11% ही बढ़ी। भारत के लिए आय में असमानता का गिनि कोएफिशिएंट 2010 में 36.8% था, जो घटकर 2015 में 33.6% रह गया। सबसे कम विकसित देश, भूमि से घिरे विकासशील देश और छोटे द्वीपीय विकासशील देश गरीबी कम करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। किन्तु इन देशों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाओं तथा अन्य परिसंपत्तियों की सुलभता में भारी विषमताएं हैं। देशों के बीच आय में असमानता भले ही कम हुई हो, लेकिन देशों के भीतर असमानता लगातार बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार 2000 के दशक के अंतिम वर्षों में दक्षिण एशिया में सबसे दौलतमंद जनसंख्या के बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने की संभावना सबसे गरीब वर्गों के बच्चों की तुलना में दोगुनी अधिक थी। लैटिन अमरीका और पूर्व एशिया में सबसे गरीब परिसंपत्तियों वाले वर्गों में पांच वर्ष की आयु से पहले ही बच्चों की मृत्यु की आशंका सबसे अमीर वर्गों के बच्चों की तुलना में तीन गुना अधिक है। #2030 के सतत विकास के इस लक्ष्य के अंतर्गत यह संकल्प लिया गया है कि असमानता कम करने के लिए नीतियां सिद्धांत रूप में सार्वभौमिक होनी चाहिए जिनमें लाभों से वंचित और हाशिए पर जीती जनसंख्या की जरूरतों पर ध्यान दिया जाए। समावेशन को सामाजिक के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्रों में भी सभी आयु, लिंग, धर्म और जातीय समाजों में सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिससे देशों के भीतर समानता की परिस्थितियां पैदा हो सकें। जनधन-आधार-मोबाइल कार्यक्रम पर भारत सरकार जितना बल दे रही है, उसका उद्देश्य समावेशन, वित्तीय सशक्तिकरण और सामाजिक सुरक्षा की एक समग्र रणनीति है। ये सभी प्राथमिकताएं 2030 तक सबके लिए समानता हासिल करने और सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समावेशन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्यों के अनुरूप हैं। इस लक्ष्य के चलते यह भी सुनिश्चित किया गया है कि भारत वर्ष के प्रत्येक व्यक्ति को अन्य व्यक्ति के समान ही अधिकार प्राप्त हो। इसके साथ ही विकलांगता, जातीयता, मूल धर्म, आर्थिक अथवा किसी अन्य भेदभाव के बिना प्रत्येक व्यक्ति के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना तथा परिणाम की असमानताएँ कम करना भी शामिल है।Share this:
दिल्ली में जन्म लेने वाले Sidharth Malhotra का जन्म 16 जनवरी 1985 को हुआ ने अपने करियर की शुरुआत मोडलिंग से की थी और उसके बाद इन्होने धीरे धीरे फ़िल्मी दुनिया में अपना हाथ अजमाया और शुरुआत की जाने माने डायरेक्टर करण जौहर के साथ बतौर सहनिर्देशक काम करते हुए 2010 में और फिल्म थी “ माय नेम इज खान “ और इसके बाद As an Actor इन्होने अपने करियर की शुरुआत सन 2012 में करण जौहर की ही फिल्म “ स्टूडेंट ऑफ़ दी इयर “ से की और आपको बता कि इसी फिल्म में Director महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट ने और वरुण धवन जो कि डेविड धवन के बेटे है ने भी इसी फिल्म के जरिये अपने अपने करियर की शुरुआत की और इसका पूरा पूरा श्रेय फिल्म निर्देशक करण जौहर को जाता है AIB ( All India Backchod) जो कि एक कॉमेडी स्टार्टअप है उसके द्वारा किये गये एक विवादित शो AIB ROAST में (जो कि असल में नहीं है बात लोगो के नजरिये की है ) इस बारे में तन्मय भट्ट ने करण जौहर का इस बात को लेकर मजाक भी बनाया गया था | खैर हम बात कर रहे थे sidharth malhotra के life के बारे में तो इसलिए यह जानना भी जरुरी है कि सिद्धार्थ के साथ इनकी फिल्म “ Student of the Year” में सिद्धार्थ के साथ अलिया की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया और कमाई के अनुसार यह फिल्म सुपरहिट रही थी | सन 2014 में सिद्धार्थ की दो और फिल्मे हंसी तो फंसी और एक विलेन प्रदर्शित हुयी जिसे भी दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया |sidharth malhotra biography in hindiEarly lifesidharth malhotra का जन्म एक पंजाबी परिवार में दिल्ली में हुआ और उनके पिता सुनील मल्होत्रा Indian merchent navy में एक कर्मचारी थे | स्कूल की पढाई दिल्ली में ही दो स्कूलों में पूरी करने के बाद 18 साल की उम्र में sidharth malhotra ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही “ शहीद भगत सिंह कॉलेज” में अपना दाखिला लिया और साथ ही मोडलिंग की दुनिया में भी अपना करियर शुरू किया लेकिन सफल मॉडल होने के बाद भी चार साल बाद इन्होने मॉडलिंग को छोड़ने का फैसला किया क्योंकि वो अपने करियर के फील्ड को लेकर संतुष्ट नहीं थे और जब इंसान अपनी जिंदगी से सन्तुस्ट नहीं होता है तब वह या तो सबकुछ छोड़ देता है या कुछ बड़ा करने का निर्णय लेता है। बड़ा करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अंदर से मोटिवेटेड रहना, सिद्धार्थ मल्होत्रा उन इंसानो में से है जो खुद को सेल्फ मोटीवेट कर सकते है बिना किसी बाहरी प्रभाव के अगर आपके अंदर सेल्फ मोटिवेशन की कमी है तो आप हिंदी मोटिवेशनल कोट्स का रोजाना इस्तेमाल करके अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर हो सकते है जैसा बाद में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने एक फिल्म में रोल के लिए इन्होने ऑडिशन भी दिया जबकि वह फिल्म बाद में टल गयी थी जिसके बाद इन्होने करण जौहर के साथ काम बतौर सह निर्देशक किया और उसके बाद उन्होंने जिन फिल्मो में काम किया उसके बारे में हम जानते ही है |Career and Filmsidharth malhotra ने जब अपने करियर की शुरुआत अपनी पहली फिल्म “ Student of the year “ के साथ की तो इनके अभिनय को न केवल फिल्म आलोचक राजीव मसंद ने भी सराहा बल्कि कमाई की नजरिये से भी फिल्म सफल रही थी और आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राजीव मसंद भी उस विवादित शो AIB ROAST में शामिल थे जिस पर कथित तौर पर खुद को सभ्य कहने वाले लोगो ने उस शो के पर बहुत बवाल मचाया जो कि बस एक तरह से अलग “व्यस्क कॉमेडी” शो था |sidharth malhotra actor hindi biographyउसके बाद सिद्धार्थ ने दूसरी फिल्म “ हंसी तो फंसी ” पर भी काम किया है जिसमे इनके साथ अदा शर्मा और परिणिति चोपड़ा सहकलाकार थे और यह एक रोमांटिक कॉमेडी मूवी थी और इसके बाद sidharth malhotra मोहित सूरी की एक रोमांटिक थ्रिल्लर फिल्म “ एक विलेन “ में नजर आये जिसके बारे में हर किसी के अलग व्यूज हो सकते है लेकिन अगर कमाई की बात करें तो वह फिल्म भी एक सफल फिल्म थी और ऐसे में सिद्धार्थ ऐसे कलाकारों में शामिल हो गये जो नये आये कलाकारों में सफल कहे जा सकते है |फ़िल्मी दुनिया के इतर अगर बात करें तो सिद्धार्थ की छवि एक बेहतर इन्सान के तौर पर है क्योंकि इन्होने कई सारे तरीकों से सामाजिक कार्यों के लिए फंडिंग की है और साथ ही अक्सर चैरिटी भी करते रहते है और उत्तराखंड में बाढ़ आने के समय अपने साथी कलाकारों के साथ इन्होने पैसे जुटाने के लिए एक इवेंट में भी परफॉर्म किया | इसके अलावा sidharth malhotra को अपने काम के लिए और अपने लुक के लिए भी Times of india के द्वारा कई तरह की सूचियों में शामिल किया गया है |Relationship and rumorsइसके अलावा अगर रिलेशनशिप की बात करें तो अख़बारों में और न्यूज़ चैनल्स में इनका नाम कई बार साथी एक्ट्रेस अलिया भट्ट के साथ जोड़ा गया है लेकिन सिद्धार्थ ने इन सबको कोरी अफवाह बताते हुए इस बारे में एकदम साफ़ कर दिया है कि अभी केवल वो काम करना चाहते है और शादी के लिए अभी काफी उम्र बाकि है | वैसे अगर फिल्म जगत से आने वाली ख़बरों पर विश्वाश करे तो यह भी सुनने में आया है कि एक फिल्म “कपूर एंड संस” में उन्होंने एकदम अलग रोले निभाया है क्योंकि इस फिल्म में वो लेखक के तौर पर काम कर रहे है और इस रोल के लिए वो इतनी मेहनत कर रहे है कि उन्होंने इस रोल में खुद को फिट बिठाने के लिए एक डायरी को अपने पास रखना शुरू कर दिया और उसमें कुछ लिखने की आदत भी डाल रखी है | मार्च 2016 में रिलीज होने वाली इस फिल्म में उनके द्वारा प्ले किये जाने वाले रोले को लेकर वो इतने संजीदा है कि वो अपनी जिन्दगी में होने वाले छोटे छोटे घटनाओं को वो नोट करते रहते है ताकि इस रोल के लिए एकदम सहज रह सकें |Natureइसके अलावा sidharth malhotra के बारे में यह बात भी लोग जानते है कि वो स्वाभाव से काफी शर्मीले है हालाँकि ओन-स्क्रीन उनकी जोड़ी अलिया के साथ बेहद क्यूट और हॉट नजर आती है और हो सकता है रियल life में अपने साथ काम करने वाले साथी कलाकारों के साथ वो सहज महसूस करतें हो लेकिन लड़कियों के मामले में सिद्धार्थ काफी शर्मीले तौर पर जाने जाते है |इसके अलावा सिद्धार्थ अपनी बात को प्रभावी तरीके से रखने के लिए जाने जाते है क्योंकि मुम्बई एक बार पाकिस्तान के किसी कृत्य को लेकर इस बारे में शिवसेना ने नाराजगी जाहिर करते हुए पाकिस्तान के कलाकरों पर प्रतिबन्ध लगाने तक की बात कह डाली थी ऐसे में सिद्धार्थ के साथ काम करने वाले एक पाकिस्तान के कलाकार के समर्थन में सिद्धार्थ ने एक समारोह के दौरान उन्होंने इस बारे में कहा कि “ कलाकार कलाकार होता है उसे किसी देश या संस्था की सीमाओं में बांधकर देखना ठीक नहीं है और यह रचनात्मकता का सवाल है |” तो इस तरह हम सिद्धार्थ मल्होत्रा को एक जागरूक अभिनेता के रूप में देख सकते है जो जीवंत मुद्दों को लेकर सजग भी है और एक बेहतर कलाकार भीइसके अलावाsidharth malhotra एक बेहतरीन रग्बी प्लेयर भी है और दिल्ली में पले बढे होने के बाद भी इन्हें आउटडोर खेलों में बहुत रूचि है और वो इस बारे में बढ़ावा देने को भी तत्पर रहते है | इसके साथ ही सिद्धार्थ की फ़ुटबाल टीम की तरफ से भी खेलते है और उनका मानना है कि जिम जाकर अपनी सेहत के लिए कुछ करने से बेहतरीन है जिम से बाहर जाकर खेलों के जरिये खुद को फिट रखना क्योंकि ऐसे में आप दिमाग और दिल के साथ साथ शरीर की सेहत का भी बेहतर ख्याल कर सकते है | सिद्धार्थ को प्रकृति से बेहद लगाव है ऐसा वो कहते है क्योंकि टूरिज्म न्यूजीलैंड के पहले भारतीय एम्बैसडर बने है |तो ये है sidharth malhotra biography in hindi और अधिक जानकारी या अपने किसी सवाल के लिए आप हमे ईमेल कर सकते है और हमारी वेबसाइट से hindi biography Update पाने के लिए आप हमे फेसबुक पर फॉलो भी कर सकते है
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के साथ बढ़े ‘‘तनाव को कम’’ करने के लिए पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है । पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि, देश के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को सोमवार को पत्र भेजकर दोनों देशों के बीच तनाव कम करने में उनकी मदद मांगी ।बता दें कि, कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकी हमले में करीब 40 जवान शहीद हो गए । इस हमले की जिम्मेदारी खुद पाकिस्तान के आतंकी जैश-ए-मोहम्मद ने ली है । इस हमले से भारत और पाकिस्तान के बीच अब तनाव की स्थिति पैदा हो गई है । कुरैशी ने अपने पत्र में लिखा, ‘‘मैं भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ बल प्रयोग के खतरे के कारण हमारे क्षेत्र में खराब हो रहे सुरक्षा हालात की ओर आपका ध्यान आकर्षित करता हूं.’’भारत ने कश्मीर मामले पर किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को नकार दिया है और वह कहता आया है कि भारत एवं पाकिस्तान के संबंधों से जुड़े सभी मामलों को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाया जाना चाहिए। कुरैशी ने अपने पत्र में कहा कि भारतीय सीआरपीएफ जवानों पर पुलवामा में हमला स्पष्ट तौर पर एक कश्मीर निवासी ने किया था.
यहां तक कि भारत ने भी यही कहा है ।https://www.abstarnews.com/2019/02/20/security-situation-worsening-in-our-area-due-to-threat-of-force-use-against-pakistan-quraishi/
मुंबई: कर्ज में डूबे मुकेश अम्बानी के छोटे भाई अनिल अम्बानी ने तीन चीनी बैंकों से लोन मामले में अपनी संपत्ति को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उनके पास कोई महत्वपूर्ण संपत्ति नहीं है। वहीं अब उनका खर्च उनकी पत्नी और परिवारवाले संभालते हैं। अनिल का यह भी कहना है कि उनकी आय का अब कोई दूसरा जरिया नहीं है और अब वे एक साधारण व्यक्ति हैं।तीन चीनी बैंकों से लिया था $700 मिलियन का क़र्ज़दरअसल अनिल अम्बानी और उनकी कंपनी रिलायंस कॉम ने फरवरी 2012 में तीन चीनी बैंकों से $700 मिलियन से अधिक का ऋण लिया था , जिसकी पर्सनल गारंटी अनिल अंबानी ने ली थी। जहाँ अब उनकी यह कंपनी दिवालिया हो चुकी है तो बैंकों ने ब्याज के साथ रकम वसूलने के लिए उन पर मुकदमा किया है। इन लोन देने वाले बैंकों में इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना लिमिटेड (मुंबई ब्रांच), चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्जिम बैंक ऑफ चाइना हैं।लंदन हाई कोर्ट ने सुनाया था फैसलाइस केस में बीते 22 मई 2020 को लंदन हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि अनिल अंबानी 12 जून तक तीन चीनी बैंकों को $7.
17 मिलियन का भुगतान करेंगे, लेकिन जब तय समय पर यह भुगतान ना हुआ बैंकों ने संपत्ति घोषित करने की मांग की थी। इसपर अदालत ने अनिल अंबानी को 29 जून को दुनिया में फैली अपनी संपत्तियों को घोषित करने का आदेश भी पारित किया था।कानूनी विकल्पों का होगा इस्तेमालयही नहीं उनसे उनके ऐफिडेविट में यह भी बताने को कहा गया कि उन संपत्तियों में उनकी पूरी हिस्सेदारी भी है या वो इनमे भी किसी के साथ संयुक्त हकदार हैं। इसके साथ ही तीन चीनी बैंकों ने यह साफ़ कहा है कि वे जरुरत पड़ी तो अनिल अम्बानी के खिलाफ अपने बाकी सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे।
CWC की बैठक में कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी शामिल हुए। सोनिया गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक को संबोधित किया।कोरोना संकट के बीच कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) की बैठक में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कोरोना वायरस के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों पर चिंता जाहिर की है। सोनिया गांधी का कहना है कि देश में अभी टेस्टिंग बहुत कम संख्या में हो रही है, इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है, जो गंभीर बात है।राज्यपाल जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान, ये राजनीतिक रोटियां सेंकने का समय नहीं हैCWC की बैठक में कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी शामिल हुए। सोनिया गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक को संबोधित किया। उनका कहना है कि जब सभी को एक साथ होकर इस महामारी से लड़ना चाहिए था तो बीजेपी उस समय नफरत के वायरस फैला रही है। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो भी सुझाव दिए जा रहे हैं उनपर मोदी सरकार ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने आगे कहा कि कोरोना वायरस से जंग में जो स्वास्थ्यकर्मी दिन रात लड़ रहे हैं उन्हें सरकार अच्छी क्वालिटी के पीपीई किट मुहैया कराने में असफल रही है।सोनिया गांधी ने आगे कहा कि मुश्किल के इस वक्त में सरकार को गरीब, मजदूरों और किसानों के खाते में 7500 रुपये डालने चाहिए। जिससे वो अपने परिवार का पेट भर सके। किसानों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से देश का किसान काफी परेशान है। अस्पष्ट खरीद नीतियों के अलावा सप्लाई चेन में आ रही परेशानी ने किसानों को बेहाल कर दिया है। सरकार को किसानों की समस्या को सुनकर इसका समाधान करना चाहिए। अखिलेश यादव ने सरकार पर साधा निशाना, कहा- जनता के साथ धोखाकेंद्र सरकार पर टेस्टिंग के आरोप लगाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि हमने बार-बार सरकार से कहा कि वो टेस्टिंग की गति को बढ़ाये। क्योंकि इस महामारी से लड़ने के लिए एक सबसे बड़ा हथियार टेस्टिंग ही है। लेकिन सरकार सुनने को ही तैयार नहीं है। देश में टेस्ट का अनुपात काफी कम है। इसके अलावा कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए डॉक्टरों को जो पीपीई किट दी जा रही है वो भी अच्छी क्वालिटी की नहीं है।AB STAR NEWS के ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं.
आप कहेंगे पहले गाँव आया फिर शहर, बिलकुल सही बात है। गाँव का निर्माण पहले हुआ है उसके बाद ही शहर अस्तित्व में आया। परन्तु यह दुखद है कि शहर के मुक़ाबले गाँव पिछड़ता चला गया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने कहा था कि ‘‘भारत की आत्मा गाँव में बसती है’’। भारत गाँवों का देश है। उन्होंने अपने सपनों के भारत में गाँव के विकास (Rural Devlopment) को प्रमुखता दी थी। जैसा कि आप सभी भी जानते हैं, गाँव हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के स्रोत एवं केंद्र रहे हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों, वेदों, पुराणों, स्मृतियों में भी ग्रामीण जीवन का विस्तार से उल्लेख है। गाँधीजी ने अपने सपनों के भारत में अपनी व्यापक दृष्टि का परिचय देते हुए तमाम स्थानीय आवश्यकता पूर्ति के लिए ग्रामीण विकास और पंचायती राज (Rural Development and Panchayati Raj) की महत्ता प्रदान की थी। उनका कहना था कि ग्राम स्वराज (Gram Swaraj) से ही भारत के गाँव आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
खानवा का युद्ध भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण युद्धों में से एक था क्योंकि इसी के पश्चात ही भारत में हिन्दू राज्य की स्थापना का सपना हमेशा के लिए टूट गया था और मुग़ल साम्रज्य की भारत में नींव और भी मजबूत हो गयी थी। मुग़ल शासक हुमायूँ का इतिहास जानेखानवा का युद्ध महा शूरवीर राजपूत नरेश राणा सांगा और महा पराक्रमी मुग़ल बादशाह बाबर के मध्य 17 मार्च 1527 में लड़ा गया था जिसमे राजपूत नरेश राणा सांगा को पराजय का सामना करना पड़ा था |यह युद्ध स्थल आगरा से लगभग 40 किलोमीटर दूर खानवा नामक गांव में स्थित है | खानवा युद्ध के विजय के पश्चात दिल्ली- आगरा क्षेत्र में बाबर की स्थिति और भी ज्यादा मजबूत हो गयी थी |खानवा का युद्ध के कारण ( Reason Of Khanwa Ka Yudh):बाबर और राणा सांगा के मध्य खानवा का युद्ध क्यों हुआ इस के बहुत से अस्पष्ट कारण है जो निम्नवत है :-1.
बाबर ने राणा सांगा पर वादा तोड़ने का आरोप लगाया था | बाबर ने अपनी ‘पुस्तक तुजुक-ए-बाबरी’ में लिखा है कि राणा सांगा ने उसे (बाबर) भारत आने का निमंत्रण दिया था और साथ ही इब्राहिम लोदी के खिलाफ युद्ध लड़ने में उसकी सहायता देने का आश्वासन दिया था परन्तु बाद में राणा सांगा अपने इस वादे से मुकर गया | (परन्तु इस वार्तालाप के प्रति इतिहासकार मौन है क्योंकि बाबरनामा के अतिरिक्त वार्तालाप का उल्लेख और कहीं नहीं है | )2.
कुछ इतिहासकारों के अनुसार राणा सांगा ने बाबर पर उनके मध्य हुए समझौते को तोड़ने का आरोप लगाया | यह समझौता था की बाबर राजपूतों पर हमला नहीं करेगा |3.
राणा सांगा ने सम्पूर्ण भारत पर हिन्दू राज्य की स्थापना का सपना देख रहा था वहीं बाबर भी सम्पूर्ण भारत पर मुग़ल सम्राज्य का परचम लहराना चाहता था | एक छत के नीचे दोनों पराक्रमी योद्धाओं का सपना पूर्ण नहीं हो सकता था अत: बाबर और राणा सांगा के मध्य युद्ध दोनों के महत्वाकांक्षी योजनाओं का ही परिणाम था | राणा सांगा के सहयोगी (संयुक्त मोर्चा) :-मुग़ल शासक बाबर के दिल्ली अधिग्रहण और मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के बाद समस्त भारत में खलबली मच गयी थी क्योंकि भारत के सभी राजपूत और अफ़गानों को यह विश्वास था की तैमूर लंग की तरह बाबर भी भारत को लूट कर वापस चला जाएगा परन्तु बाबर की महत्वकांक्षा भारत में राज्य करने की थी ना की वापस जाने की |जिसके तहत बाबर के विरुद्ध अधिकांश राजपूत और अफ़गानी, बाबर के खिलाफ एक भयानक सैन्य गठबंधन बनाने में सफल रहे | अफ़गान राणा सांगा का साथ इस आशा से दे रहे थे कि अगर राणा सांगा जीत जाता है तो उन्हें अपना दिल्ली का तख़्त एक बार फिर से मिल जाएगा |इस सैन्य गठबंधन में राणा सांगा का साथ इब्राहिम लोदी के छोटे भाई महमूद लोदी (जिन्हें अफ़गानों ने अपना नया सुलतान घोषित कर दिया था ), खानजादा हसन ख़ाँ मेवाती, अम्बर, ग्वालियर, चंदेरी, मारवाड़ दे रहे थे | लगभग सभी राजपूतों ने अपने दस्ते भेजे जिनमें सिरोहे ही, हरौती, जालोर, और अम्बर आदि शामिल थे ।बयाना का युद्ध:-खानवा के युद्ध के पहले 16 फरवरी 1527 को राणा सांगा ने बाबर की सेना को मुँह के बल गिराकर, मुग़ल के दुर्ग (चौकी) को अपने कब्जे में कर लिया था।राणा सांगा के इस युद्ध का शौर्य देखकर, बाबार के सैनकों में बहुत ज्यादा असंतोष फ़ैल गया और उनका मनोबल गिरने लगा। इसीलिए बाबर ने अपने सैनिकों के खून में जीत का जज्बा भरने के लिए राणा सांगा विरोधी जंग को जिहाद का नाम दे दिया और और घोषणा की कि वो इस्लाम धर्म की मान प्रतिष्ठा के लिए यह युद्ध लड़ रहे है। युद्ध के ठीक पहले बाबर ने शराब के घड़ों और बोतलों को यह दिखाने के लिए तोड़वा दिया की वह (बाबर) बहुत पक्का मुसलमान है और साथ ही शराब कभी न पीने की कसम खायी । बाबर ने मुसलमानों पर लगने वाले सीमा शुल्क ‘तमगा कर’ को भी समाप्त कर दिया।खानवा का युद्ध Khanwa Ka Yudh (अप्रैल 1527) :-इस युद्ध को भारत की भयावह लड़ाइयों में से एक माना जाता है। बाबर की पुस्तक बाबरनामा के अनुसार राणा सांगा की सेना 2 लाख से भी पार थी । जिसमे 10,000 अफगानी व इतने ही हसन खान मेवाती के फ़ौज सम्मिलित थी। (परन्तु इसमें भी असतिशयोक्ति संभव है)खानवा के युद्ध के समय ही राणा सांगा ने अपनी परम्परा ‘पाती पेरवन’ को पुनर्जीवित करके प्रत्येक सरदार को अपनी और से युद्ध में सम्मिलित होने का निमंत्रण भेजा।खानवा के युद्ध में भी बाबर ने पानीपत की तरह बाहरी प्रतिरक्षा के रूप में बहुत सी गाड़ियों को आपस में जंजीर से बँधवा कर रखवा दिया। घुडसवारों और बंदूकचियो को उसी तरह जमाया गया जैसे कि पानीपत के मैदान में जमवाया था।वीरता और शौर्य से लड़ते हुए अंत में राणा सांगा की सेना बाबर के तोपखाने और उसकी तुलुगुमा युद्ध निति के आगे कमजोर पड़ने लड़ी। बाबर ने राणा सांगा के दाएं बाजू पर भयानक हमला कर उसे लगभग काट ही दिया। राणा सांगा के सरदार ने घायल सांगा को इस युद्ध से बाहर निकला और नेतृत्व-विहीन, राणा सांगा की सेना बाबर की सेना द्वारा पूर्णता घेर ली गयी और उसे पराजय का मुँह देखना पड़ा।राणा सांगा बच निकले और वो एक बार फिर से बाबर से टकराना चाहता था परन्तु राणा सांगा के सरदारों ने उसे ज़हर दे दिया और इस तरह राजस्थान के शूरवीर योद्धा की मृत्यु हो गयी और भारत को हिन्दुत्व राज्य बनाने का सपना हमेशा के लिए सो गया। खानवा युद्ध ने बाबर की विजय के बाद दिल्ली – आगरा क्षेत्र में बाबर की स्थिति को और भी सुरक्षित बना दिया।बाबर ने अपने संस्मरण में लिखा है की :- ”कुछ हिंदुस्तानी तलवारबाज अवश्य ही हो पर अधिकांशत: तो सैन्य तरीकों, स्थितियों और रणनीतिओं से बिलकुल अनजान और अकुशल हैं। खानवा के युद्ध के परिणाम (Result Of Khanwa Ka Yudh)1.
अफ़गान की शक्ति भी भारत में लगभग अपंग हो गयी ।4.
पेरिस में हो रही फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स की मीटिंग में चीन और सऊदी अरब ने भारत, यूरोपियन यूनियन और अमेरिका का समर्थन दिया है, इस से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। अब पाकिस्तान को मनी लॉन्डरिंग और आतंकवाद पर जल्द ही काम करना पड़ेगा इसके अलावा उसे सभी आतंकवादियों पर केस चला के उनका खात्मा करना पड़ेगा । इस मीटिंग में केवल तुर्की ही पाकिस्तान के साथ था, पाकिस्तान को शुरुआत से लग रहा था चीन उसका साथ देगा पर चीन के इस कदम से उसे बड़ा झटका लगा है। सूत्रों के मुताबिक़ इसके बाद पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में ही रहेगा और उसको इस साल जून तक आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने पड़ेंगे अगर वो ऐसा नहीं करता है तो उसे इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। पिछले साल विदेश मंत्रालय ने महाबलीपुरम में हुई अनौपचारिक मीटिंग के बाद कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति सी जिंगपिंग आतंकवाद को ले कर चिंतित हैं क्योंकि ये जनमानस के लिए एक बड़ा खतरा है । भारत और चीन जैसे बड़े और विविध देश आतंकवाद के खिलाफ काम करने के महत्व को समझते हैं, हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि अंतराष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद के खिलाफ मानकों को कड़ा बनाये। पाकिस्तान के दुनिया और अपने लोगों को दिखाने के लिए पाखण्ड का सहारा लिया था, पाकिस्तान कि सभी कोशिशों के बाद भी वो ग्रे लिस्ट में है और रहेगा अब ये पाकिस्तान के ऊपर है वो मीटिंग के मानकों को माने और अगली बार खुद को ग्रे लिस्ट होने से बचाये। पाकिस्तान को सभी सदस्य देशों ने कड़ी चेतावनी दी है कि वो जून 20 तक आतंकवाद के खिलाफ 13 एक्शन ले अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहे , ये सब बातें एक सूत्र ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से कहीं। आपको बता दें कि पाकिस्तान ने ग्रे लिस्ट से बचने के लिए अपने आतंकी हाफ़िज़ सईद और उसके साथियों को 11 साल कि सजा सुनाई है और उसने हाल ही में बयान दिया था कि कुख्यात आतंकी मसूद अज़हर लापता हो गया है। पर चीन और सऊदी के इस कदम के बाद पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में अकेला पड़ गया है Read More: https://www.flypped.com/china-supports-india-and-pakistan-could-not-escape-the-gray-list/hindi/
नागरिकों को समानता का अधिकार प्राप्त होने के बावजूद भी वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि प्रत्येक क्षेत्र में असमानता ही देखने को मिलती है। कम होने के बजाए यह दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है जो एक दयनीय मुद्दा है। यदि हम गतवर्षों की बात करें तो 2014 में दुनिया में सबसे अमीर एक प्रतिशत जनसंख्या के पास दुनिया की 48% दौलत थी, जबकि सबसे निचले स्तर पर मौजूद 80% लोगों के पास कुल मिलाकर दुनिया की सिर्फ 6% दौलत थी। यह असंतुलन तब और भी स्पष्ट हो जाता है, जब हम देखते हैं कि सिर्फ 80 व्यक्तियों के पास इतनी दौलत है जितनी दुनिया भर में सबसे कम आय वाले 3.5 अरब लोगों के पास है। औसत आय में असमानता 1990 और 2010 के बीच विकासशील देशों में सिर्फ 11% ही बढ़ी। भारत के लिए आय में असमानता का गिनि कोएफिशिएंट 2010 में 36.8% था, जो घटकर 2015 में 33.6% रह गया। सबसे कम विकसित देश, भूमि से घिरे विकासशील देश और छोटे द्वीपीय विकासशील देश गरीबी कम करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। किन्तु इन देशों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाओं तथा अन्य परिसंपत्तियों की सुलभता में भारी विषमताएं हैं। देशों के बीच आय में असमानता भले ही कम हुई हो, लेकिन देशों के भीतर असमानता लगातार बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार 2000 के दशक के अंतिम वर्षों में दक्षिण एशिया में सबसे दौलतमंद जनसंख्या के बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने की संभावना सबसे गरीब वर्गों के बच्चों की तुलना में दोगुनी अधिक थी। लैटिन अमरीका और पूर्व एशिया में सबसे गरीब परिसंपत्तियों वाले वर्गों में पांच वर्ष की आयु से पहले ही बच्चों की मृत्यु की आशंका सबसे अमीर वर्गों के बच्चों की तुलना में तीन गुना अधिक है। #2030 के सतत विकास के इस लक्ष्य के अंतर्गत यह संकल्प लिया गया है कि असमानता कम करने के लिए नीतियां सिद्धांत रूप में सार्वभौमिक होनी चाहिए जिनमें लाभों से वंचित और हाशिए पर जीती जनसंख्या की जरूरतों पर ध्यान दिया जाए। समावेशन को सामाजिक के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्रों में भी सभी आयु, लिंग, धर्म और जातीय समाजों में सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिससे देशों के भीतर समानता की परिस्थितियां पैदा हो सकें। जनधन-आधार-मोबाइल कार्यक्रम पर भारत सरकार जितना बल दे रही है, उसका उद्देश्य समावेशन, वित्तीय सशक्तिकरण और सामाजिक सुरक्षा की एक समग्र रणनीति है। ये सभी प्राथमिकताएं 2030 तक सबके लिए समानता हासिल करने और सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समावेशन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्यों के अनुरूप हैं। इस लक्ष्य के चलते यह भी सुनिश्चित किया गया है कि भारत वर्ष के प्रत्येक व्यक्ति को अन्य व्यक्ति के समान ही अधिकार प्राप्त हो। इसके साथ ही विकलांगता, जातीयता, मूल धर्म, आर्थिक अथवा किसी अन्य भेदभाव के बिना प्रत्येक व्यक्ति के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना तथा परिणाम की असमानताएँ कम करना भी शामिल है।Share this:
Kiradu Temple in Rajasthan: हमारे सामने आने वाले कई तथ्य ऐसे होते है जो हमें हैरान कर देते है जिन पर हम चाहकर भी विश्वास नहीं कर पाते है। आपने कभी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहाँ रात को रुकने पर आप इंसान से पत्थर बन सकते है। हो गए ना हैरान?
अगर नहीं, तो हम आपको आज ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जहाँ अगर आप रात को ठहरे तो इंसान से पत्थर में बदल जाएगें। चलिए जानते है इस रहस्यमय जगह के बारे में।राजस्थान का ये गांव (Kiradu Temple in Rajasthan)राजस्थान की ताप्ती रेतीली धरती अपने अंदर कई राज समेटे बैठी हैं। यह राज ऐसे होते हैं जिन्हें जानकर बड़े-बड़े हिम्मतवालों के पसीने छूट जाते हैं। कुलधारा गांव और भानगढ़ का किला राजस्थान में स्थित ऐसे ही रहस्यमय स्थानों में से एक है जो पूरी दुनिया में भूतिया स्थान के रुप में में जाने जाते है।बारमेर जिले में स्थित किराडू का मंदिर (Kiradu Temple) रहस्य के मामले में कुलधारा और भानगढ़ जितना ही खौफनाक है। यह मंदिर राजस्थान में खजुराहो मंदिर के नाम से मशहूर है जो प्रेमियों के लिए विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र हैं। लेकिन इस जगह की खौफनाक हकीकत को जानने के बाद कोई भी शख्स सूरज ढलने के बाद यहां ठहरने की हिम्मत नहीं करता है।पत्थर का बन जाता है इंसान (Mysterious Temples in India)किराडू के मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां शाम होने के बाद जो भी रह जाता है वो या तो पत्थर का बन जाता है या फिर मौत की गहरी नींद में सो जाता है। इस स्थान के बारे में यह मान्यता सदियों से चली आ रही है। पत्थर बन जाने के खौफ के कारण यह इलाका शाम होते ही पूरा वीरान हो जाता है।इस मान्यता के पीछे एक ऐसी अजीब कहानी है जिसकी गवाह एक औरत की पत्थर की मूर्ति है, जो किराडू से कुछ दूरी पर सिहणी गांव में स्थित है। किराडू के लोग बन गए पत्थर (Kiradu Temple History in Hindi)यह बात वर्षों पहले की है जब किराडू में एक तपस्वी पधारे थे। इनके साथ शिष्यों की एक टोली थी। एक दिन तपस्वी अपने शिष्यों को गांव में ही छोड़कर भ्रमण के लिए चले गए। इस दौरान अचानक शिष्यों का स्वास्थ्य काफी ख़राब हो गया।उस समय गांव के लोगों ने शिष्यों की कोई मदद नहीं की। जब तपस्वी किराडू लौटे कर वापस आए और अपने शिष्यों की ये दशा देखी तो क्रोधित होकर गांव वालों को श्राप दिया कि जिस स्थान के लोगों का हृदय पाषाण का हैं वह इंसान बने रहने के योग्य नहीं हैं इसलिए सब पत्थर के बन जाएं।सिर्फ एक कुम्हारन थी जिसने शिष्यों की मदद की थी। उस पर दया करते हुए तपस्वी ने कहा कि तुम इस गांव से चली जाओ वरना तुम भी गांववालों के साथ पत्थर की बन जाओगी। लेकिन याद रखना गांव से जाते समय भूल से भी पीछे मुड़कर मत देखना।तपस्वी की आज्ञा का पालन करते हुए कुम्हारन गांव से चली जाती है लेकिन उसके मन में यह बात आने लगती है कि तपस्वी की कही बात सच भी है या नहीं और वह पीछे मुड़कर देख लेती हैं। इस तरह मुड़कर देखते ही वो महिला भी पत्थर की बन जाती है। सिहणी गावं में स्थापित कुम्हारन की पत्थर की मूर्ति आज भी उस घटना की याद दिलाती है।