
CWC की बैठक में कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी शामिल हुए। सोनिया गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक को संबोधित किया।कोरोना संकट के बीच कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) की बैठक में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कोरोना वायरस के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों पर चिंता जाहिर की है। सोनिया गांधी का कहना है कि देश में अभी टेस्टिंग बहुत कम संख्या में हो रही है, इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है, जो गंभीर बात है।राज्यपाल जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान, ये राजनीतिक रोटियां सेंकने का समय नहीं हैCWC की बैठक में कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी शामिल हुए। सोनिया गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक को संबोधित किया। उनका कहना है कि जब सभी को एक साथ होकर इस महामारी से लड़ना चाहिए था तो बीजेपी उस समय नफरत के वायरस फैला रही है। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो भी सुझाव दिए जा रहे हैं उनपर मोदी सरकार ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने आगे कहा कि कोरोना वायरस से जंग में जो स्वास्थ्यकर्मी दिन रात लड़ रहे हैं उन्हें सरकार अच्छी क्वालिटी के पीपीई किट मुहैया कराने में असफल रही है।सोनिया गांधी ने आगे कहा कि मुश्किल के इस वक्त में सरकार को गरीब, मजदूरों और किसानों के खाते में 7500 रुपये डालने चाहिए। जिससे वो अपने परिवार का पेट भर सके। किसानों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से देश का किसान काफी परेशान है। अस्पष्ट खरीद नीतियों के अलावा सप्लाई चेन में आ रही परेशानी ने किसानों को बेहाल कर दिया है। सरकार को किसानों की समस्या को सुनकर इसका समाधान करना चाहिए। अखिलेश यादव ने सरकार पर साधा निशाना, कहा- जनता के साथ धोखाकेंद्र सरकार पर टेस्टिंग के आरोप लगाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि हमने बार-बार सरकार से कहा कि वो टेस्टिंग की गति को बढ़ाये। क्योंकि इस महामारी से लड़ने के लिए एक सबसे बड़ा हथियार टेस्टिंग ही है। लेकिन सरकार सुनने को ही तैयार नहीं है। देश में टेस्ट का अनुपात काफी कम है। इसके अलावा कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए डॉक्टरों को जो पीपीई किट दी जा रही है वो भी अच्छी क्वालिटी की नहीं है।AB STAR NEWS के ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं.

https://www.abstarnews.com/politics/digvijay-singh-tightened-his-own-party/दिल्ली की सीमाओं पर लगातार कृषि कानूनों के विरोध में किसान अपनी बात मनवाने के लिए डटे हुए हैं। किसान लगातार केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। कृषि कानूनों की आड़ में विपक्ष लगातार सरकार पर निशाना साधता नजर आ रहा है। मगर इस बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद ने अपनी ही पार्टी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दिग्विजय सिंह ने अपनी ही पार्टी पर तंज कसते हुए कहा है कि मध्यप्रदेश के किसान तो भोले-भाले हैं, लेकिन कांग्रेसी भी सो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेसियों को उठना चाहिए और कानूनों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।



दिल्ली जीतने के बाद रविवार को मुख्यमंत्री की शपथ ले चुके अरविन्द केजरीवाल, विपक्षियों का दिल जीतने में भी सफल दिख रहें हैं ।ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि मुंबई प्रदेश के एक बड़े कांग्रेस नेता ने अपने ट्वीट में केजरीवाल के कामों की तारीफ़ की है| मिलिंद देवरा ने देर रात रविवार को एक ट्वीट को रीट्वीट किया और लिखा , वो एक ऐसी जानकारी साझा कर रहें हैं जिसे कम लोग जानतें हैं , अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने अपना राजस्व पिछले 5 सालों में दोगुना कर दिया है और इसे बरक़रार रखने में भी सफल हुए हैं । आगे बताते हुए उन्होंने लिखा , दिल्ली अब देश के सबसे आर्थिक सक्षम राज्यों में से एक है । पर मिलिंद जी की ये बात उनकी पार्टी के बड़े नेताओं को लगता है पसंद नहीं आई , एक तो पहले ही दिल्ली में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन ऊपर से मिलिंद का ये ट्वीट जले पर नमक का काम कर गया । दिल्ली कांग्रेस के बड़े नेता अजय माकन ने मिलिंद देवरा के ट्वीट का जवाब देते हुए उनसे पुछा , क्या मिलिंद को पार्टी छोड़नी है ?
उन्होंने आगे लिखा की मिलिंद आधे अधूरे तथ्य न बताएं । अजय माकन ने एक टेबल के जरिये समझाया की कांग्रेस राज में प्रदेश का राजस्व 14.87% बढ़ा था पर केजरीवाल सरकार में ये सिर्फ 9.90% ही बढ़ा है । 1997-98 का राजस्व 4073 करोड़2013-14 का राजस्व 37459 करोड़कांग्रेस सरकार के दौरान 14.87 फीसदी राजस्व बढ़ा2015-2016 का राजस्व 41129 करोड़।2019-20 का राजस्व 60000 करोड़आप सरकार के दौरान 9.90 फीसदी का राजस्व बढ़ा एक तो कांग्रेस की हालत वैसे ही देश में ख़राब दिख रही है और मिलिंद के इस ट्वीट ने पार्टी के अंदर हलचल मचा दी है । मुफ्त चीजें बाटनें का केजरीवाल पर हमेशा से आरोप लगता रहा है । एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में दिल्ली सरकार ने 5,236 करोड़ रुपए के राजस्व सरप्लस का अनुमान रखा है। 2018-19 में राज्य सरकार का अनुमानित राजस्व 4,931 करोड़ रुपए था। कांग्रेस की इस ट्वीट वॉर से ट्विटर वालों को मजा लेने का मौका मिल गया है। लोग तरह तरह के ट्वीट करके अपना अपना मत रख रहें हैं । SOURCE: https://www.flypped.com/follow-thor-star-chris-hemsworths-workout-and-diet-plan-to-get-a-ripped-body-like-superhero/health-fitness/

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बजट (Budget 2021-22) सैलेरीड क्लास (Salaried Class) को निराश कर गया। इस बजट में न तो कोई अतिरिक्त टैक्स छूट (Income Tax Rebate) की घोषणा की गई और न ही टैक्स स्लैब (ax Slab) में कोई सुधार किया गया।इस बजट में सिर्फ वैसे वरिष्ठ नागरिकों (Senior citizen) के लिए एक राहत की घोषणा हुई, जो कि 75 साल से ज्यादा उम्र के होंगे। इनके लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने से छूट मिली। कोरोना से लड़ रही अर्थव्यवस्था (Corona pandemic) में इस बार बजट से पहले इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax slab) का दायरा बढ़ाने से लेकर के टैक्स की दरों को तर्कसंगत बनाने की बात हो रही है। इस बारे में कई सिफारिश वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से की गई थी।बजट में इस बार आयकर दाताओं को कर में छूट मिलने की ज्यादा उम्मीद है। इससे पहले नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे टर्म के लिए जुलाई में पेश किए गए पहले बजट में वित्त मंत्री ने पांच लाख तक की आय वालों को कर में छूट दी थी, लेकिन टैक्स स्लैब में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया था। ऐसे में अब लोगों को उम्मीद जागी थी कि वित्त मंत्री इस बार टैक्स स्लैब में बदलाव कर सकती हैं।इससे कर दाताओं को ज्यादा वेतन घर ले जाने को मिलेगा, जिससे उनका खर्च का दायरा बढ़ेगा। मध्यम वर्ग कहें या सैलेरीड क्लास,इनकी आय कम होती है, लेकिन टैक्स का बोझ ज्यादा होता है। अभी आम आदमी सबसे ज्यादा आयकर का भुगतान करता है। अभी 2.5 लाख से पांच लाख रुपये की आय पर पांच फीसदी टैक्स देना होता है। वहीं पांच से 10 लाख रुपये पर सीधे 20 फीसदी टैक्स दर लागू है। इससे करदाताओं पर सीधा असर पड़ता है। पांच से 10 लाख रुपये के लिए स्लैब को 20 फीसदी से घटाकर के 10 फीसदी करने की मांग भी वित्त मंत्री से करदाता कर रहे थे। लेकिन सबको निराशा ही हाथ लगी।