दरअसल दिल्ली के जाफराबाद में सीएए के खिलाफ पिछले डेढ़ महीने से सड़क किनारे शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा था पर शनिवार को 11 बजे के करीब ये प्रदर्शनकारी सड़क पर आ गए और मौजपुर जाफराबाद वाले सड़क को जाम कर दिया और रविवार को सुबह होते होते प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर स्टेज बनाना शुरू कर दिया इसके बाद पुलिस कमिशनर के हस्तक्षेप के बाद इसे बनाने से रोका गया। पुलिस ने बातचीत करके प्रदर्शनकारियों से सड़क का एक तरफ का हिस्सा तो खुलवा लिया पर सीलमपुर से मौजपुर जाने वाला रास्ता बंद ही रहा। ❍ जब नेताओं ने किया हस्तक्षेप।रविवार को दिन में जब प्रदर्शन की आग बढ़ने लगी तब भाजपा नेता कपिल मिश्रा और कुसुम तोमर ने सीएए और रोड जाम के खिलाफ धरना शुरू कर दिया और इसके बाद सीएए के समर्थन में लोग जुटने लगे। कबीरनगर इलाके में सीएए के समर्थन में बैठे हुए लोगों पर दूसरे लोगों ने पत्थर चला दिए इसके बाद देखते ही देखते इलाके में गोली,पत्थर और तलवारें चलने लगी। पुलिस ने भीड़ नियंत्रण के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े साथ ही पुलिस की अतरिक्त टीमों को भी यहाँ तैनात किया गया पर हालात काबू में नहीं आये। ❍ कपिल मिश्रा ने दिया ये बयान।भाजपा के नेता और पूर्व विधायक कपिल मिश्रा ने एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें वो सीएए समर्थकों को मौजपुर लालबत्ती पर संबोधित करते हुए दिख रहे हैं उनके साथ नार्थ ईस्ट दिल्ली के डीएसपी वेद प्रकाश भी दिख रहें हैं। मिश्रा इस वीडियो में कहते हैं ‘सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोग दिल्ली में उत्पात मचाना चाहते हैं इसलिए उन्होंने ये रोड जाम किया है इसलिए उन्होंने दंगों जैसा माहौल बनाया है। हमने अपनी तरफ से पत्थर नहीं फेकें । डीसीपी आप लोगों के सामने खड़े हैं और में आपकी तरफ से इनको कहना चाहता हूँ जबतक ट्रम्प भारत में हैं तबतक हम यहाँ से जा रहें हैं , इसके बाद हम आपकी (पुलिस) की भी नहीं सुनेंगे। अगर तब तक सड़कें खाली नहीं होती तो हमें सड़कों पर उतरना पड़ेगा। बाद में कपिल मिश्रा ने अपने बयान में कहा, ऐसा बयान उन्होंने लोगों का आक्रोश कम करने के लिए दिया , उन्होंने कहा सड़क जाम होने से लोगों में आक्रोश है ये सड़क ही इस इलाके को मुख्य दिल्ली से जोड़ती है। उन्होंने आगे कहा अगर वो ऐसा नहीं करते तो लोग सड़कों पर उतर जाते। मिश्रा अंत तक यही कहते रहे की उनकी तरफ से पत्थराव नहीं हुआ है। SOURCE: https://www.flypped.com/fire-of-caa-protest-reached-yamunapar/hindi/
क्या अपने कभी बुलेट बाइक मंदिर के बारे में सुना है….जहां एक 350 CC बुलेट बाइक की पूजा होती है…हमारे भारत में ईश्वर की भक्ति को विशेष महत्व दिया जाता है, यहां लोग अलग अलग मंदिरों में अपनी श्रद्धा के अनुसार ईश्वर की पूजा-अर्चना करते हैं और हर मंदिर से जुड़ी अनेकों मान्यतायें व कहानियां भी प्रचलित होती हैं… परन्तु, कभी कभी लोगो की श्रद्धा कुछ ऐसी चीजों से जुड़ जाती है जिसके बारे मे जानकर बहुत आश्चर्य होता है।ऐसा ही एक विचित्र मंदिर राजस्थान के जोधपुर-पाली राजमार्ग से 20 km दूर चोटीला गांव में स्थित हैं। जहां एक मोटरसाइकिल की पूजा होती है। इस मंदिर से जुडी है ओम बन्ना की कहानी इसीलिए ये ओम बन्ना मंदिर या बुलेट बाबा मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। यह मंदिर पूरे विश्व का एकलौता बुलेट बाइक मंदिर हैं,जहां बुलेट 350cc बाइक की पूजा की जाती है। इस मंदिर मे लोग आते जाते समय अपनी मंगलमय यात्रा के लिए प्राथना करने आते हैं। तो आइए जानते हैं बुलेट बाबा मंदिर से जुड़ी कहानी…की आखिर कैसे बना यह मंदिर एक पवित्र तीर्थस्थल और मोटर साइकिल की पूजा का राज व ओम बन्ना की कहानी…फलों पर आखिर ये स्टीकर क्यों – Know About PLU Codeओम बन्ना की कहानी (Om Banna Story In Hindi)यह मंदिर ओम बन्ना की याद में बनाया गया है। ओम बन्ना का पूरा नाम ओम सिंह राठौड़ है जो चोटिल गांव के ठाकुर जोग सिंह राठौड़ के पुत्र थे।सन् 1988, ओम बन्ना शाम के समय अपनी बुलेट 350 CC बाइक से अपनी ससुराल से अपने घर चोटिला गांव आ रहे थे कि अचानक उनकी बाइक नजदीक के पेड़ से जा टकराई और टकर इतनी तेज़ थी कि ओम बन्ना की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी। इस एक्सीडेंट के बाद पुलिस ने उनकी बाइक को जब्त कर थाने ले गई लेकिन अगले ही दिन बाइक थाने में नही मिली… कहा जाता है कि वह बाइक बिना किसी चालक के उसी स्थान पर पहुंच गई थी जहां पर ओम बन्ना का निधन हुआ था। पहले पुलिस प्रशासन को लगा कि कोई व्यक्ति बाइक को घटनास्थल पर ले गया था। तब पुलिस बाइक को वापस थाने ले आई और ऐसा एक बार नही बल्कि तीन-चार बार हुआ था… तब पुलिस के तो होश ही उड़ गए कि ये हो क्या रहा है…यहां तक की पुलिस ने बाइक को जंजीरों से बंद दिया था लेकिन अगले दिन बाइक जंजीर को तोड़कर बिना चालक के दुर्घटनास्थल पहुंच गई। तब पुलिस प्रशासन ने ओम बन्ना के पिता और स्थानीय लोगों की मदद से बुलेट बाइक को घटनास्थल पर ही एक चबूतरा बनवाकर स्थापित करा दिया। स्थानीय लोगों का मानना है कि उस बाइक में ओम बन्ना की आत्मा निवास करती है जो लोगों की बड़े एक्सीडेंट से बचाती है। जबसे ये बाइक यहां खड़ी की गई है तब से इस स्थान पर कोई अन्य घटनाएं नही घटित हुई हैं। फिर लोगों ने इसे चमत्कार मानकर बाइक की पूजा-अर्चना आरम्भ कर दिया और देखते ही देखते यह एक पवित्र स्थान माना जाने लगा।ऐसा सागर जो आपको डूबने नहीं देता -Dead Sea
Kiradu Temple in Rajasthan: हमारे सामने आने वाले कई तथ्य ऐसे होते है जो हमें हैरान कर देते है जिन पर हम चाहकर भी विश्वास नहीं कर पाते है। आपने कभी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहाँ रात को रुकने पर आप इंसान से पत्थर बन सकते है। हो गए ना हैरान?
अगर नहीं, तो हम आपको आज ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जहाँ अगर आप रात को ठहरे तो इंसान से पत्थर में बदल जाएगें। चलिए जानते है इस रहस्यमय जगह के बारे में।राजस्थान का ये गांव (Kiradu Temple in Rajasthan)राजस्थान की ताप्ती रेतीली धरती अपने अंदर कई राज समेटे बैठी हैं। यह राज ऐसे होते हैं जिन्हें जानकर बड़े-बड़े हिम्मतवालों के पसीने छूट जाते हैं। कुलधारा गांव और भानगढ़ का किला राजस्थान में स्थित ऐसे ही रहस्यमय स्थानों में से एक है जो पूरी दुनिया में भूतिया स्थान के रुप में में जाने जाते है।बारमेर जिले में स्थित किराडू का मंदिर (Kiradu Temple) रहस्य के मामले में कुलधारा और भानगढ़ जितना ही खौफनाक है। यह मंदिर राजस्थान में खजुराहो मंदिर के नाम से मशहूर है जो प्रेमियों के लिए विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र हैं। लेकिन इस जगह की खौफनाक हकीकत को जानने के बाद कोई भी शख्स सूरज ढलने के बाद यहां ठहरने की हिम्मत नहीं करता है।पत्थर का बन जाता है इंसान (Mysterious Temples in India)किराडू के मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां शाम होने के बाद जो भी रह जाता है वो या तो पत्थर का बन जाता है या फिर मौत की गहरी नींद में सो जाता है। इस स्थान के बारे में यह मान्यता सदियों से चली आ रही है। पत्थर बन जाने के खौफ के कारण यह इलाका शाम होते ही पूरा वीरान हो जाता है।इस मान्यता के पीछे एक ऐसी अजीब कहानी है जिसकी गवाह एक औरत की पत्थर की मूर्ति है, जो किराडू से कुछ दूरी पर सिहणी गांव में स्थित है। किराडू के लोग बन गए पत्थर (Kiradu Temple History in Hindi)यह बात वर्षों पहले की है जब किराडू में एक तपस्वी पधारे थे। इनके साथ शिष्यों की एक टोली थी। एक दिन तपस्वी अपने शिष्यों को गांव में ही छोड़कर भ्रमण के लिए चले गए। इस दौरान अचानक शिष्यों का स्वास्थ्य काफी ख़राब हो गया।उस समय गांव के लोगों ने शिष्यों की कोई मदद नहीं की। जब तपस्वी किराडू लौटे कर वापस आए और अपने शिष्यों की ये दशा देखी तो क्रोधित होकर गांव वालों को श्राप दिया कि जिस स्थान के लोगों का हृदय पाषाण का हैं वह इंसान बने रहने के योग्य नहीं हैं इसलिए सब पत्थर के बन जाएं।सिर्फ एक कुम्हारन थी जिसने शिष्यों की मदद की थी। उस पर दया करते हुए तपस्वी ने कहा कि तुम इस गांव से चली जाओ वरना तुम भी गांववालों के साथ पत्थर की बन जाओगी। लेकिन याद रखना गांव से जाते समय भूल से भी पीछे मुड़कर मत देखना।तपस्वी की आज्ञा का पालन करते हुए कुम्हारन गांव से चली जाती है लेकिन उसके मन में यह बात आने लगती है कि तपस्वी की कही बात सच भी है या नहीं और वह पीछे मुड़कर देख लेती हैं। इस तरह मुड़कर देखते ही वो महिला भी पत्थर की बन जाती है। सिहणी गावं में स्थापित कुम्हारन की पत्थर की मूर्ति आज भी उस घटना की याद दिलाती है।